उमेश गौतम. इटावा/कोटा. इटावा उपखंड क्षेत्र में चम्बल, कालीसिंध व सूखनी नदी में पानी का उफान तो कम हो गया, लेकिन बाढ़ ने जो जख्म दिए हैं, उन्हें भरने में वक्त लगेगा। बाढ़ के पानी ने यहां 707 मकान तबाह किए हैं। ऐसे में बेघर हुए लोगों की जिंदगी अभी पटरी पर नहीं आई है। अपने टूटे आशियाने देख उनकी रुलाई बार-बार फूट पड़ती है। उधर, किसान फसलों की बर्बादी से व्यथित हैं। जिन हरे-भरे खेतों को देखकर वे अच्छी फसल की उम्मीद लगाए बैठे थे, वे अब काले-पीले हो गए। उनसे उपज मिलना तो दूर पशुओं का चारा तक नहीं मिलेगा। इटावा क्षेत्र में बाढ़ से 31 गांवों में तबाही मची। लोगों का घरेलू सामान व पशुओं का चारा तक बाढ़ का पानी बहा ले गया बाढ़ के पानी से मलबे में तब्दील हुए मकान में कई मासूम बच्चों का बचपन भी गुम हो गया। मासूम बच्चों, महिलाओं और ग्रामीणों के चेहरों पर अभी तक भी बाढ़ के मंजर को लेकर खौफ नजर आ रहा है। आश्रय स्थलों में शरण लिए हुए लोग अब अपने आशियानों की सार-संभाल के लिए अपने गांव लौटने लगे हैं। कीरपुरिया में शनिवार को जो लोग अपने गांव पहुंचे, उन्हें अपने आशियाने जमींदोज नजर आए। उनकी आंख से अश्रुधारा बह

ने लगी। कीरपुरा-गैंता निवासी जगदीश कीर व हीरालाल कीर ने बताया कि बाढ़ का पानी उनका सबकुछ बहा ले गया। अधिकांश मकान ढह गए हैं। घर में रखा सामान बह गया। गौवंश भी बह गए।
पुनर्वास के लिए नई जमीन की तलाश
गेंता की सरपंच पूर्णिमा सिंह और पटवारी हरगोविंद सिंह ने बताया कि गेंता पंचायत क्षेत्र में चम्बल किनारे बसे ग्राम कीरपुरा के 156 परिवारों के पुनर्वास की प्रक्रिया चल रही है। इनके लिए गेंता के पास ही जमीन चिन्हित करने का प्रस्ताव है।
आगे जीवन कैसे चलेगा, इसी की चिंता
कीरपुरा-बंबूलिया निवासी 70 वर्षीय राधेश्याम केवट ने बताया कि वे लकवे से पीड़ित हैं। पिछले रविवार को बाढ़ के पानी में घर ढह गया। वे अपना सबकुछ खो बैठे। खाने-पीने का कोई इंतजाम नहीं है। आस-पड़ौस से खाना लेकर दिन काट रहे हैं। यहीं के निवासी गोपाल, नंदलाल ल छोटाबाई ने बताया कि अभी तक सरकारी मदद नहीं मिली। कुछ समाजसेवी लोगों ने जरुर खाद्य सामग्री पहुंचाई है। आगे का जीवन-यापन कैसे करेंगे, यही चिंता सताए जा रही है।
मवेशियों के लिए चारे का संकट
कीरपुरा निवासी नंदलाल के मुताबिक उसके खलिहान में पशुओं के लिए चारा घर बनाया हुआ, जो ढह गया। इसी तरह 35 अन्य पशुपालकों के चाराघर बर्बाद हुए हैं। अभी तो हरा चारा खरीद कर पशुओं को खिला रहे हैं लेकिन आने वाले दिनों के लिए चारे का इंतजाम होना बहुत मुश्किल है। भाजयुमो मंडल अध्यक्ष राकेश पारेता ने प्रशासन से बाढ़ पीड़ितों को अविलंब सहायता उपलब्ध करवाने व पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था करवाने की मांग की है।
ये क्षेत्र हुए बाढ़ से प्रभावित
पिछले दिनों आई बाढ़ से इटावा, नोनेरा, खरवन, नारायणपुरा, आमल्दा, डडवाड़ा, कीरपुरा, गैंता, राजपुरा, रघुनाथपुरा, बंबूलिया, कीरपुरा, हवाखेड़ली, नीमसरा, गोठड़ा, ककरावदा, सुमेरनगर, चंबल ढीपरी, नीमोला, मियाना, बेजपुर, बिनायका, खातौली, बागली, कैथूदा, नयागांव, पीपल्दा, करवाड़, सीनोता, गणेशगंज, बंबूलिया खुर्द व इनके आस-पास के क्षेत्र में बाढ़ से भारी बर्बादी हुई।
प्रशासन का सर्वे जारी, फसल की भी गिरदावरी शुरू

इटावा के एसडीएम परसराम मीणा ने बताया कि इटावा उपखंड क्षेत्र में इटावा नगर और 31 गांवों में 707 से अधिक कच्चे मकान ध्वस्त हुए हैं। करीब 1300 से अधिक लोगों को आश्रय स्थलों पर शरण दिलवाई गई। बाढ़ के दौरान टापू बने कीररपुरा-गेंता से 140, रघुनाथपुरा से 243, खरवन से 156, गोठड़ा से 122 ओर इटावा नगर से 368 लोगों सहित कुल 1029 व्यक्तियों को एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और सेना की टीम ने रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया था। बाढ़ से ध्वस्त मकानों का सर्वे कराया जा रहा है। खेतों में नष्ट फसल की गिरदावरी की जा रही है। रिपोर्ट आते ही पीड़ित लोगों को मुआवजा दिलवाने के लिए उचित कार्रवाई की जाएगी।
‘राम तो रूठ गए, अब राज से उम्मीद’
इटावा क्षेत्र में अतिवृष्टि और बाढ़ के कारण सैंकड़ों किसानों की हजारों बीघा जमीन में लगी तिल्ली,उड़द, और सोयाबीन की फसल बर्बाद हो गई। इससे किसानों के सामने आर्थिक संकट हो गया है। पीड़ित किसानों ने कहा, ‘राम तो हम से रूठ गए, अब तो राज से ही उम्मीद है कि चौपट हुई फसल का उचित मुआवजा मिल जाए।