संदेश न्यूज। कोटा.
नगर निगम की ओर से राष्ट्रीय दशहरे मेले में सिने संध्या के कार्यक्रम के लिए तय गायक कलाकार सोनू निगम के कार्यक्रम को रद्द कर दिया गया है। अब दूसरे और कम दर वाले कलाकार को जल्दी ही फाइनल किया जाएगा। मेला समिति की ओर से सिने संध्या के लिए गायक कलाकार सोनू निगम को 58 लाख और पंजाबी नाइट के लिए गुरू रंधावा को 40 लाख रूपए में फाइनल करने पर चौतरफा विरोध हो रहा था, सोशल मीडिया पर यूजर कई तरह के कमेंट कर रहे थे, जिसको लेकर मेला समिति बैकफुट पर आ गई। सोमवार को मेला समिति की दुबारा बैठक हुई। जिसमें सोनू निगम के कार्यक्रम को रद्द कर दिया गया। जबकि पंजाबी नाइट के सिंगर गुरू रंधावा की स्वीकृति आने के कारण उसको यथावत रख लिया गया। सिने संध्या के लिए दूसरे नाम पर चर्चा की गई। जिसमें कुमार सानू को बुलाने पर सहमति बनी, लेकिन इवेंट कंपनी ने कुमार सानू की उस दिन की बुकिंग दूसरी जगह बताई, इस पर मेला समिति ने उपायुक्त कीर्ति राठौड़ को इसके लिए अधिकृत कर दिया कि 25 से 30 लाख में एक गायक कलाकार और एक महिला गायक कलाकार को बुला लिया जाए, मेला समिति ने शेष बची हुई राशि को बाढ़ पीड़ितों को देने का प्रस्ताव पास किया। बैठक में महेश गौत्तम लल्ली, मोनू कुमारी, भगवान गौत्तम, सहायक मेला अधिकारी प्रशांत भारद्वाज, अधिशाषी अभियंता एक्यू कुरैशी भी मौजूद रहे।
बाढ़ पीड़ितों को सहायता राशि देने पर भिड़े
मेला समिति की बैठक में जब बाढ़ पीड़ितों को सहायता राशि देने की बात आई तो महापौर महेश विजय ने कहा कि इतने महंगे कार्यक्रम नहीं कर छोटा कार्यक्रम कर सकते हैं। शेष राशि बाढ़ पीड़ितों को समर्पित कर सकते हैं। इस पर उपायुक्त कीर्ति राठौड़ उखड़ गई, उन्होंने कहा कि गत् वर्ष 17 लाख में सिने संध्या हुई तो उसको इस बार 41 लाख रुपए बढ़ाकर 58 लाख तक क्यों ले गए। ऐसे में कैसे बाढ़ पीड़ितों को सहायता देंगे, इस पर मेला अध्यक्ष राम मोहन मित्रा ने कहा कि उस समय आचार संहिता थी, अधिकारियों ने अपनी मर्जी से कलाकार फाइनल तय किया है। उसमें हमारा कोई रॉल नहीं था। इस बार हम तो चाहते हंै कि जो धार्मिक कार्यक्रम होते है, उनको कर लेते हैं, जिसमें राम बारात, लक्ष्मीनाथ सवारी, रावण दहन, रामलीला और भरत मिलाप शामिल है, इनको कर लेते हैं, शेष को रद्द कर सकते हैं। इसका मेला समिति सदस्य प्रकाश सैनी ने भी समर्थन किया तो सदस्य नरेन्द्र हाड़ा उखड़ गए, हाड़ा ने कहा कि ये मेला पीढ़ियों से चला आ रहा है, कोटा रियासतकाल के समय से मेला भरता रहा है, वर्ष 1986 में इतनी बाढ़ आई थी, जिसमें कई लोग मर गए थे, तब भी कार्यक्रम रद्द नहीं हुए थे। इस पर प्रकाश सैनी और नरेन्द्र हाड़ा दोनों की आपस में नोकझोंक भी हो गई। इस पर महापौर महेश विजय ने आयुक्त नरेन्द्र गुप्ता और उपायुक्त कीर्ति राठौड़ से तरीका पूछा कि किस तरह हम ये मदद कर सकते हैं। इस पर उपायुक्त राठौड़ ने लेखा से जानकारी लेकर कहा कि नकद या चैक तो हम किसी को नहीं दे सकते। इस पर महापौर महेश विजय ने कहा कि फिर किस मद में हम दे सकते हैं। क्या उनको 1 कंबल और 2 चद्दर दे सकते हैं, इस पर उपायुक्त ने कहा कि जिला प्रशासन द्वारा एक कोष का गठन किया गया है, उसमें हम प्रभारी से पूछ लेते हैं, जिस वस्तु की जरुरत होगी, उस वस्तु को क्रय कर दे सकते हैं।
बजट से बाहर कोई राहत नहीं दे सकते
वहीं समिति सदस्य पार्षद रमेश चतुर्वेदी ने कहा कि नगर पालिका एक्ट 2009 और संसोधित एक्ट 2015 में साफ उल्लेख है कि बजट में जिस मद का प्रावधान किया गया है, उस मद से बाहर जाकर कोई भी खर्च हम नहीं कर सकते, इसका उदाहरण गत् फरवरी में शहीद हेमराज के परिजनों को 10 लाख रुपए देने की घोषणा की गई, लेकिन बजट में प्रावधान नहीं होने के कारण महापौर, पार्षद, अधिकारियों और कर्मचारियों के एक दिन का वेतन में कटौती कर उसको सहायता दी थी। ऐसे में हम बाढ़ पीड़ितों को सहायता कैसे दे सकते हैं।