नई दिल्ली.
राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने महात्मा गांधी के विचारों को अपनाने पर जोर देते हुए गुरुवार को कहा कि उनके बताये रास्ते पर चलकर ही विश्व समुदाय आतंकवाद, भ्रष्टाचार, धार्मिक एवं नस्लीय भेदभाव तथा जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपट सकता है। कोविंद ने ‘आध्यात्म से समाज और मानवता का उत्थान’ विषय पर यहां आयोजित एक संगोष्ठी में कहा कि विश्व में शांति एवं अहिंसा स्थापित करने के लिए आध्यात्मिक मूल्यों का प्रचार प्रसार अनिवार्य है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने इस तथ्य को गहराई से समझा और स्पष्ट किया कि सत्य अहिंसा और शांति और सदभाव पर आधारित व्यवस्थाओं से ही मानव समाज का उत्थान संभव है। उनके ये विचार सवैद प्रासंगिक रहेंगे। संगोष्ठी का आयोजन ‘अहिंसा विश्व भारती’ संस्था ने किया था। आतंकवाद, अराजकता, भ्रष्टाचार, अनैतिकता और आर्थिक धार्मिक, नस्ल तथा भाषा पर आधारित भेदभाव और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना करने में गांधी जी के विचार पूरी तरह प्रासंगिक है। उनके बताये मार्ग पर चलकर विश्व समुदाय इस समस्याओं से निजात पा सकता है। गांधी जी की आध्यात्मिक दृष्टि का उल्लेख करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने ‘अहिंसा परमो धर्म’ के सिद्धांत को दृढता से अपनाया उनकी संवेदनशीलता के दायरे में पशु, पक्षी और पेड़ भी शामिल थे। वह पेड़ पौधों की रक्षा और पानी की बचत पर बहुत जोर देते थे। प्रकृति के प्रति संवेदनशील न रहने के कारण पूरी दुनिया को आज जलवायु परिवर्तन की समस्या का सामना करना पड़ रहा है।