संदेश न्यूज। कोटा.
शारदीय नवरात्र का महापर्व रविवार को शुरू हो रहा है। शहर में जहां डांडिया, गरबा, जागरण व माता की चौकी का आयोजन होगा, वहीं दूसरी और घर-घर घट स्थापना व माता का पूजन होगा। ज्योतिषाचार्य अमित जैन ने बताया कि साल में आने वाली 4 नवरात्र में से इस नवरात्र का खास महत्व माना जाता है। इस बार नवरात्रों में बेहद दुर्लभ शुभ संयोग बन रहा है। इस में सर्वार्थसिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग एक साथ बनते नजर आएंगे। सर्वसिद्धि योग को बेहद शुभ माना जाता है, जो पूजा उपासना में अभिष्ट सिद्धि देगा। आश्विन शुक्ल प्रतिपदा तिथि 29 सितम्बर से नवरात्र शुरू होंगे और दशमी तिथि पर 8 अक्टूबर को सम्पन्न होंगे। इस वर्ष नवरात्र पूरे नौ दिन के रहेंगे। जैन ने बताया कि देवी दुर्गा का आगमन हाथी पर और वापसी घोड़े पर होगी। देवी आगमन और गमन दोनों ही संकट की चेतावनी है। उन्होंने कहा कि प्रतिपदा तिथि 28 सितंबर रात 11.55 बजे से है जो दूसरे दिन रविवार को पूरे दिन रात 8.15 बजे तक रहेगी। हस्त नक्षत्र 28 सितंबर को रात 10.03 बजे से है और दूसरे दिन शाम 7.07 बजे तक रहेगा। आश्विन नवरात्र में सुन्दरकाण्ड का सामूहिक अनुष्ठान कार्यक्रम : हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी श्रीराम मंदिर प्रबन्ध समिति की ओर से आश्विन नवरात्र में सुन्दरकाण्ड का सामूहिक अनुष्ठान 28 सितम्बर शनिवार से रविवार तक किया जाएगा, जिसका समय शाम 7 से 9 बजे तक रहेगा, जिसमें आचार्य चन्द्रशेखर शर्मा द्वारा व्यासपीठ से सामुहिक महिला पुरूषों द्वारा अनुष्ठान प्रारम्भ किया जाएगा, इस अनुष्ठान में अधिक से अधिक संख्या में महिला साधक एवं पुरुष साधक भाग लेकर धर्मलाभ प्राप्त करेंगे।
20 साल बाद सर्व पितृ
मोक्ष अमावस्या शनिवार को
श्राद्ध पितृ पक्ष की सर्व पितृ मोक्ष अमावस्या एवं शनि अमावस्या शनिवार के दिन होने के कारण शुभ संयोग बन रहा है। आश्विन मास की सर्व पितृ मोक्ष अमावस्या शनिवार के दिन होने से इस दिन पित्रों एवं शनि देव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। यदि पूरे पितृ पक्ष में किसी का श्राद्ध करना भूल गए हैं या मृत व्यक्ति की तिथि मालूम नहीं है तो इस तिथि पर उनके लिए श्राद्ध किया जा सकता है। इस दिन शनिवार का संयोग 20 साल बाद बन रहा है। इससे पहले 1999 में यह संयोग बना था। ज्योतिषाचार्य अमित जैन ने बताया कि जब कुंडली में पितृदोष, गुरु चांडाल योग, चंद्र या सूर्य ग्रहण योग हो तो विशेष उपाय इस दिन किए जा सकते है। साढ़े साती और ढैया वाले जातकों पर इस बार शनि देव की विशेष कृपा रहेगी। शनिचरी अमावस्या पर पितरों की तृप्ति के लिए तर्पण, श्राद्ध, कर्म और दान पुण्य करना चाहिए। इस तरह करें पितरों की विदाई : श्राद्ध के अंतिम दिन पितरों को तर्पण दें, ब्राह्मण को भोजन कराएं, भोजन कराने के बाद ब्राह्मण को वस्त्र और दक्षिणा दें, चींटी, गाय, कौआ, कुत्ता को भोजन खिलाना चाहिए।