संदेश न्यूज। कोटा.
भ्रष्टाचार के मामले में एसीबी विशिष्ट न्यायालय के विशिष्ट न्यायाधीश प्रमोद कुमार मलिक ने गुरुवार को एसीबी की जांच को अधूरी मानते हुए पुलिस महानिदेशक एसीबी को एफआर को अस्वीकृत कर मामले में फिर से जांच के आदेश दिए हैं। संजय नगर निवासी दीपक यादव ने वर्ष 2012 में एसीबी में प्रस्तुत शिकायत में बताया था कि सहायक अभियंता सीएण्डएम ओपी शर्मा कोटा व एलडी दुबे 132 केवी जीएसएस बूंदी पर कार्यरत थे। उसको सहायक अभियंता द्वितीय से काम छीन कर दिया गया। दोनों अधिकारी संभागीय मुख्य अभियंता राजस्थान राज्य विद्युत प्रसारण निगम लिमिटेड डीसी गुप्ता के करीबी थे और अपने पुत्र आलोक गुप्ता को गलत तरीके से सहयोग कर फायदा पहुंचाते थे। शिकायत पर एसीबी जयपुर ने 23 जनवरी 2012 को राजस्थान राज्य विद्युत प्रसारण निगम लिमिटेड के संभागीय मुख्य अभियंता डीसी गुप्ता, उसके पुत्र महावीर नगर प्रथम निवासी आलोक गुप्ता और हिंडौन सिटी के मनीष गुप्ता के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर 25 जनवरी 2012 को कोटा एसीबी केसीआई विवेक सोनी को मामले की जांच सौंपी। एसीबी ने जांच में बताया कि अधिशासी अभियंता सकतपुरा से प्राप्त दस्तावेज से स्पष्ट हुआ कि जय साईं कंस्ट्रक्शन कंपनी कोटा को 9 फरवरी 2007 को सूचीबद्ध किया गया। कंपनी ने पंजीयन के लिए आवेदन ही नहीं किया, इस कारण 3 माह बाद सूचीबद्धता निरस्त हो गई। जांच में अनुसंधान अधिकारी तरुण कांत सोमानी ने यह पाया कि अधिशासी अभियंता कार्यालय से मिले रिकॉर्ड में मनीष इलेक्ट्रो कंस्ट्रक्शन कंपनी हिंडौन सिटी पंजीकरण के बाद जून 2012 तक की अवधि में फर्म को 10 प्रकरण के कार्य आवंटित किए गए, जिसमें से 8 कार्य सेंट्रल लेवल रेट कॉन्ट्रेक्ट सीआर एलसी के आधार पर ही आवंटित किए गए थे। इनके लिए टेंडर जारी नहीं किए गए और 1 करोड़ 59 लाख 64 हजार 770 रुपए के कार्य दे दिए गए। यह कार्य कम समय में अधिक से अधिक कार्य मनीष इलेक्ट्रो कंस्ट्रक्शन कंपनी को जारी किए गए। एसीबी के तरुणकांत सोमानी ने मामले में जांच कर इसमें चूक मानते हुए मामले में एफआर लगा दी। इस मामले में न्यायालय ने एसीबी द्वारा प्रस्तुत एफआर को अधूरी मानते हुए इसे अस्वीकृत करते हुए मामले की फिर से जांच करने के लिए महानिदेशक एसीबी भी को जांच के आदेश दिए।