संदेश न्यूज। कोटा.
राष्ट्रीय दशहरे मेले के अंतर्गत गुरुवार को पूरे राजशाही अंदाज में मल्टीपरपज स्कूल से रामबारात निकाली गई। जो गुमानपुरा, सूरजपोल, कैथूनीपोल, गढ़ पैलेस होते हुए दशहरा मैदान स्थित श्रीराम रंगमंच पर पहुंची, जहां पर राम और लक्ष्मण सहित चार भाइयों का विवाह सम्पन्न कराया गया। नगर निगम की ओर से इस बार राम बारात के लिए विशेष साज-सजावट की गई, राम बारात रवाना होने से पहले मल्टीपरपज स्कूल परिसर में आयोजित कार्यक्रम में राम भगवान को राजस्थान पुलिस की ओर से सलामी दी गई, उसके विधिवत पूजा अर्चना गोदावरी धाम के शेलेन्द्र भार्गव और शिवपुरी के सनातन पुरी महाराज के द्वारा की गई। उसके बाद महापौर महेश विजय, मेला अध्यक्ष राम मोहन मित्रा, संयोजक महेश गौत्तम लल्ली, सदस्य नरेन्द्र हाड़ा, निगम आयुक्त वासुदेव मालावत, मेला अधिकारी कीर्ति राठौड़, उपायुक्त ममता तिवारी और राजपाल सिंह ने पूजा अर्चना की। उसके बाद मल्टीपरपज स्कूल से रवाना हुई। राम बारात का एक हिस्सा मल्टीपरपज स्कूल में तो दूसरा हिस्सा सूरजपोल गेट पर था। राम बारात में इस बार छत्तीसगढ़ के राज बैंड के कलाकार साउंड की धून में राम के भजन पेश कर रहे थे, जिनको सुनकर दर्शक काफी रामांचित हो रहे थे। इसी तरह गुजरात के आदिवसी क्षेत्र का नृत्य, उज्जैन का आरके झंकार का बांगड़ा, भगवान शिव, गणेश अन्य भगवान की वेशभूषा पैदल चलते कलाकारों के साथ सफेद नन्दी के रूप चलते कलाकार काफी आकर्षक रहे। इसके अलावा दो हाथी, 13 ऊंट, 30 घोड़ों पर सवार हथियार बंद सैनिक, झालीदार पैदल सैनिक, एमपी का चंग डोल, तेजाजी की कच्छी घोड़ी नृत्य, किशनगढ़ का सहरी नृत्य और चरी नृत्य भी दर्शकों का रोमांच बढ़ा रहे थे।
पार्षदों की एक बार फिर नगण्य
राम बारात को लेकर शहरभर में काफी उत्साह रहता है, लेकिन नगर निगम के पार्षदों में इसको लेकर खास उत्साह नहीं दिख रहा है। राम बारात में मेला समिति के सदस्यों के अलावा ज्यादातर पार्षद नजर नहीं आए। राम बारात में कर्मचारियों की ही संख्या ज्यादा रही। वहीं राम बारात को देखने के लिए शहरवासी पूरे मार्ग में लाइन से खड़े नजर आए।
रानी कैकयी ने राम के लिए मांगा 14 वर्ष का वनवास
नगर निगम कोटा की ओर से दशहरा मैदान स्थित श्रीराम रंगमंच पर चल रही रामलीला में गुरुवार को श्रीराम विवाह तथा कैकयी कोप भवन की लीला का मंचन हुआ, जिसे देख दर्शक भावुक हो गए। आरम्भ में श्रीराम का सीता से विवाह का मंचन हुआ। साथ ही लक्ष्मण का उर्मिला से भरत का माडवी व शत्रुध्न का श्रुतिकीर्ति के विवाह हुआ। अयोध्या के महाराज दशरथ ने अपनी वृद्धावस्था देख राम को राजा बनाने का विचार किया और गुरू की आज्ञा से राज्याभिषेक की घोषणा की। इस समाचार से अयोध्या में हर तरफ खुशी का माहौल हो गया। लेकिन जब मंथरा को पता लगा उसने रानी कैकयी को मायाजाल में फंसाया और महाराज से दो वर मांगने को कहा। प्रथम वर मे भरत को अयोध्या का राज तथा दूसरे वर मे राम को 14 वर्ष वनवास मांगा। दशरथ रोने लगे कहने लगे तू मेरे प्राण मांग ले पर राम को वन मत भेज, लेकिन कैकयी नहीं मानी। तब वे बोले कि रघुकुल की परम्परा है कि वचनों के लिए प्राणों का भी मोह नहीं किया जाता, चाहे प्राण चले जाए। यह सोचकर उन्होंने वचन दे दिया। पूरी अयोध्या शोकमग्न हो गई। रामलीला संयोजक पार्शद महेश गौतम लल्ली ने बताया कि महापौर महेश विजय, मेला अध्यक्ष राममोहन मित्रा बाबला, मेला अधिकारी कीर्ति राठौड़ ने आरती कर रामलीला का शुुभारंभ करवाया। दर्शक दीर्घा में काफी तादाद में श्रद्धालु मौजूद रहे।