संदेश न्यूज। कोटा.
इंद्रप्रस्थ औद्योगिक क्षेत्र स्थित इंस्ट्रूमेंटेशन लिमिटेड (आईएल) के पास स्थित इलेक्ट्रानिक जोन के व्यापारियों ने आईएल की तरह भू उपयोग रुपातंरण की मांग की है। कोटा व्यापार महासंघ ने भी होस्टल संचालकों और उद्यमियों की इस मांग का समर्थन करते हुए आरपार की लड़ाई का ऐलान कर दिया है। उद्यमियों व व्यापारियों ने सवाल उठाया है कि जब आईएल का भू उपयोग रुपांतरण हो सकता है, तो इसके पास स्थित अन्य औद्योगिक भूखंडों का रुपांतरण क्यों नहीं हो सकता। जो नुकसान औद्योगिक भूखंडों के रुपातंरण करने के लिए बताए जा रहे उन कारणों को आईएल के मामले में क्यों नजर अंदाज किया जा रहा है। भूरुपातंरण के बाद जल्द ही आईएल की जमीन पर भी रिहायशी गतिविधियां शुरू हो जाएंगी। ऐसे में आसपास औद्योगिक वातारण से रिहायशी क्षेत्र का माहौल कैसे ठीक रह सकता है। इसलिए रीको को आइएल के आस-पास के औद्यौगिक भूखंडों पर भी रिहायशी गतिविधियों की इजाजत दी जानी चाहिए। उद्यमी महेंद्र ने तो हाल ही में रीको व राज्य सरकार को इसी का हवाला देते हुए अपने भूखण्ड पर व्यवसायिक गतिविधियों के संचालन की अनुमति के लिए आवेदन किया है। उद्यमियों ने बताया कि राज्य सरकारी की मंजूरी के बाद आईएल की जमीन पर नगर विकास न्यास द्वारा व्यवसायिक गतिविधियां संचालित करने तैयारी की जा रही है। न्यास द्वारा फैक्ट्री के कई हिस्सों की निलामी कर चुकी है। न्यास द्वारा यहा आॅक्सीजोन, आवासीय और व्यवसायिक जोन बनाया जाएगा। इसके लिए आईएल की 21.45 हैक्टर (52 एकड़) जमीन का औद्योगिक भू-उपयोग से आवासीय और व्यवसायिक में भू-उपयोग परिवर्तन के लिए राज्य सरकार को न्यास द्वारा प्रस्ताव भेजा था। एक में आईएल की जमीन का औद्योगिक से आवासीय-व्यवसायिक भू-उपयोग परिवर्तन करने और ट्रक यूनियन के सामने स्थित न्यास की थोक लोहा मंडी की जमीन को थोक व्यवसायिक से सामान्य व्यवसायिक जमीन में बदलने का प्रस्ताव भेजा था। यहां न्यास द्वारा 100 करोड़ रुपए से अधिक लागत से आॅक्सोजन तैयार किया जाएगा, साथ ही आवासीय टाऊनशिप और व्यवसायिक परिसर तैयार कर नीलामी या लॉटरी से बेचेंगे, जबकि लोहा मंडी में थोक व्यापार के व्यापारियों द्वारा भूखंडों को नहीं खरीदने के कारण इसका भू-उपयोग परिवर्तन करवाया गया है। अब इन भूखंडों को कोई भी व्यापारी खरीद सकता है।
मुख्यमंत्री के नाम कलक्टर को सौंपा ज्ञापन
संदेश न्यूज। कोटा. इधर कोटा व्यापार महासंघ के महासचिव अशोक माहेश्वरी के नेतृत्व में एक प्रतिनिधि मण्डल ने शुक्रवार को जिला कलक्टर ओपी कसेरा से भेंट कर उन्हें मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। प्रतिनिधि मंडल का कहना था कि कोटा में एक मात्र कोचिंग एवं होस्टल व्यवसाय ही कोटा अर्थव्यवस्था को संभाले हुए है। होटल एवं होस्टल दोनों के ही द्वारा एक ही कार्य को निष्पादित किया जाता है। शब्दकोष में दोनों को ही ठहरने की जगह बताया गया है। रेस्टोरेन्ट को भारत सरकार ने उद्योग घोषित कर रखा है। एमएसएमई द्वारा इसे उद्योग मानते हुए सारी सुविधाएं दी जाती है। जयपुर में अभी केन्ट कन्वेड इण्डस्ट्रियल एरिया में व्यवसायिक अनुमति दी गई है, तो कोटा के साथ भेदभाव करते हुए यहां अलग नीति क्यों बनाई गई। होस्टल में वह सब कार्य होते है जो एक उद्योग द्वारा किए जाते हंै जैसे-स्टाफ, गार्ड, हेल्पर, लाइटमैन। इन सभी को यहां पर रोजगार दिया जाता है। जिला कलक्टर ने प्रतिनिधि मण्डल को आश्वस्त किया कि कोटा का शैक्षणिक एवं आर्थिक माहौल खराब नहीं होने दिया जाएगा। वे स्वयं अपने स्तर पर भी सम्बन्धित विभाग से पूरी जानकारी प्राप्त कर उद्यमियोंं के हित में जितना हो सकेगा, राहत दिलाने का प्रयास करेंगे। प्रतिनिधि मण्डल में हाड़ौती कोटा स्टोन इण्डस्ट्रिज एसोसिएशन के संस्थापक अध्यक्ष राजेश गुप्ता, दी एसएसआई एसोसिएशन के निर्वाचित अध्यक्ष मुकेश गुप्ता, पूर्व महासचिव रमेश कालानी, कोटा होस्टल ऐसोसिएशन के उपाध्यक्ष रवि माण्डलिया एवं महासचिव पंकज जैन सहित कई होस्टल व्यवसायी एवं उद्यमी मौजूद थे।