संदेश न्यूज। कोटा.
शहर के औद्योगिक क्षेत्र और इलेक्ट्रॉनिक जोन में करीब 400 प्लॉट खाली पड़े हैं। कभी यहां पर उद्योग धंधे चलते थे, लेकिन समय के साथ-साथ यह उद्योग बंद होते गए। अब यहां केवल खंडहर के रूप में उद्योगों के अवशेष रह गए हैं।
ऐसे में व्यवसायियों की ओर से लगातार सरकार से इन खाली प्लॉटों पर होटल, हॉस्टल, कोचिंग संस्थान सहित अन्य व्यवसायिक गतिविधियों के संचालन की इजाजत देने की मांग की जा रही है। उद्यमियों का कहना है कि 2014 से पहले सरकार ने औद्योगिक और इंद्रप्रस्थ क्षेत्र में कई बिल्डर, होटल, होस्टल, सिटी मॉल, पेट्रोल पंप आॅटो मोबाइल, शोरुम और दुकानें आदि चलाने की परमिशन दे दी। इसके चलते परमिशन मिलने की आस में कई उद्यमियों ने भी यहां पर व्यवसायिक और रिहायशी गतिविधियां शुरू कर दीं। इसमें उद्यमियों का करोड़ों रुपया फंस गया। अब इन उद्यमियों को सरकार व्यवसायिक गतिविधियों की परमिशन नहीं दे रही है। सरकार ने करीब 57 उद्यमियों के आवेदन रद्द कर दिए। जबकि दर्जनों व्यवसयिक गतिविधियां यहां जारी हैं। इसके चलते रद्द हुए कई उद्यमी कोर्ट भी चले गए हैं। उद्यमियों ने कहा कि सरकार द्वारा यह दोहरा रवैया अपनाया जा रहा है। आधे उद्यमियों को परशिमन दे दी और आधे से मना किया जा रहा है। उद्यमियों का कहना है कि आईएल की तरह उन्य उद्योग वाली जगहों पर भी वाणिज्य और रिहायशी गतिविधियों की परमिशन दी जानी चाहिए। इससे यहां पर हजारों लोगों को यहां पर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा। सरकारी को भी राजस्व प्राप्त होगा।