स्टॉकहोम. विश्वभर में लैपटॉप, मोबाइल फोन और इलेक्ट्रिक वाहनों में इस्तेमाल की जाने वाली लिथियम-आयन बैटरियों के विकास के लिए तीन वैज्ञानिकों को वर्ष 2019 के रसायन के नोबेल पुरस्कार के लिए चुना गया है। रॉयल स्वीडिश अकादमी आॅफ साइंसेज ने बुधवार को जारी एक बयान में बताया कि हल्के वजन की लिथियम आयन बैटरियां इस समय मोबाइल फोन, लैपटाप और इलेक्ट्रिक वाहनों में इस्तेमाल हो रही हैं और इनके विकास के लिए तीन वैज्ञानिकों जॉन बी गुडइनफ, एम स्टैनली व्हिटिंगम और अकिरा योशिनो को 2019 के नोबेल रसायन पुरस्कार के लिए चुना गया है। पुरस्कार स्वरूप 90 लाख स्वीडिश क्रोनर की राशि दी जाएगी। तीनों वैज्ञानिकों ने लिथियम आयन बैटरियों के विकास की दिशा में अहम भूमिका निभाई है।
जॉन गुडइनफ (97) इस पुरस्कार को पाने वाले पहले इतने उम्रदराज वैज्ञानिक हैं। वह अमेरिकी भौतिकविद् हैं और इस समय आस्टिन की टेक्सास यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं। पिछले वर्ष आर्थर अशकिन (96) नोबेल पुरस्कार पाने वाले उम्रदराज व्यक्ति थे। जॉन गुडइनफ ने लीथियम बैटरी की क्षमता को दोगुना किया है और इसकी वजह से यह अधिक शक्तिशाली तथा लाभदायक बैटरी बन गई है। पुरस्कार से संबद्ध समिति ने एक ट्वीट कर कहा, लिथियम आयन बैटरियों ने हमारे जीवन में क्रांतिकारी बदलाव किए हैं। इन वैज्ञानिकों ने अपने काम और खोज से एक वायरलेस और जीवाश्म र्इंधन रहित समाज की स्थापना की आधारशिला रखी है। ये बैटरियां सौर, पवन और नवीकरणीय ऊर्जा के अन्य साधनों से ऊर्जा हासिल कर उन्हें स्टोर कर सकती हैं और इनके विकास से हमें जीवाश्म ईधन से मुक्ति मिलने में एक कदम आगे जाने में मदद मिलेगी।