जींद.
पंजाब की तरह हरियाणा में भी धान के अवशेष जलाने के खिलाफ मुहिम चलायी जा रही है। धान के अवशेष जलाने पर जिलाधीश डॉ. आदित्य दहिया ने पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है। उन्होंने यह आदेश भारतीय दण्ड प्रक्रिया नियमावली 1973 की धारा 144 के अन्तर्गत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए आज जारी किये। इन आदेशों की उल्लघंना करने वाले किसानों पर जुमार्ना लगाया जायेगा। डॉ. दहिया ने उक्त निर्देश जारी करने के बाद बताया कि धान की फसल की कटाई शुरू हो चुकी है और कई किसान धान की फसल की कटाई के बाद अवशेषों को जला देते हैं जिससे उत्पन्न धुंआ/स्मोग मानव स्वास्थ्य पर बुरा असर डालता है। किसान अवशेषों को जलाने के बजाय अवशेषों का प्रयोग फसल चारे के रूप में करें। फसल अवशेष जलाने से भूमि के मित्र कीट भी मर जाते है, जिससे भूमि की उर्वरा शक्ति कमजोर हो जाती है, जिससे फसल की पैदावार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, इसलिए कोई भी किसान फसलों के अवशेष न जलायें। राष्ट्रीय हरित न्यायधिकरण द्वारा धान के अवशेष जलाने पर प्रतिबंध लगाने के निर्देश जारी किये गये है। जारी आदेशों में स्पष्ट कहा गया है कि यदि कोई किसान फसल अवशेष जलाता है तो उसके खिलाफ भारतीय दण्ड संहिता की धारा 188 वायु बचाव एवं प्रदूषण नियंत्रण अधिनियम 1981 के तहत कार्यवाही अमल में लाई जायेगी। उनके अनुसार ये आदेश अक्तूबर तथा नवम्बर दो माह तक लागू रहेंगे। सम्बन्धित विभागों के अधिकारियों को निर्देश दिये कि वे इन आदेशों का अधिकाधिक प्रचार एवं प्रसार करवाना सुनिश्चित करें ताकि हर व्यक्ति को इन आदेशों की जानकारी प्राप्त हो सके। जिला की परिधि में किसी भी सूरत में फसल अवशेष न जलाये जा सके, इसके लिए जिलाधीश ने कृषि विभाग के 63 कर्मियों की डयूटियां भी निर्धारित कर दी गई है। प्रत्येक कर्मी को पांच- पांच गांवों अॅलाट किये गये है। यह कर्मी अॅलाट किये गये गांवों में फसल अवशेष जलाने पर पूरी निगरानी रखेंगे और अगर कोई किसान फसल अवशेष जलाता है तो उसके खिलाफ कार्यवाही करना सुनिश्चित करेंगे।