संदेश न्यूज। कोटा.
दशहरा मेले में महापौर महेश विजय व मेला समिति अध्यक्ष राम मोहन मित्रा के नेतृत्व में मेला समिति के सदस्यों ने बुधवार को जिला कलक्टर ओम कसेरा से मुलाकात कर मेले की अव्यवस्थाओं की जानकारी दी। महापौर और मेला समिति सदस्यों ने बताया कि अधिकारियों की हठधर्मिता और जनप्रतिनिधियों के सुझावों की अवहेलना के कारण मेला अव्यवस्थाओं की भेंट चढ़ रहा है। गलतियां अधिकारियों के कारण हो रही है, लेकिन आमजन की आलोचना का शिकार जनप्रतिनिधियों को होना पड़ रहा है। रावण दहन के दिन का घटनाक्रम इसका उदाहरण है। मेला समिति ने कहा कि वे कलक्टर को इस बारे में बता रहे हैं ताकि अधिकारियों के रवैये में सुधार आए। यदि अब भी ऐसा नहीं हुआ तो मेले में अधिकारियों व पार्षदों के बीच टकराव की स्थिति उत्पन्न होना तय है। जिला कलक्टर ने इस मामले में चर्चा के लिए निगम आयुक्त व मेला अधिकारी को गुरुवार सुबह 11 बजे बुलाया है। मेला समिति अध्यक्ष राममोहन मित्रा बाबला ने बताया कि महापौर महेश विजय के नेतृत्व में वे, मेला समिति सदस्य नरेंद्र सिंह हाड़ा, महेश गौतम लल्ली व भगवान स्वरूप गौतम बुधवार को कलक्टर ओम कसेरा से मिले। समिति सदस्यों ने कलक्टर से कहा कि रावण दहन के अवसर पर जो हुआ उसने ऐतिहासिक मेले को कलंकित कर दिया। रावण दहन को लेकर समाचार पत्रों ने शर्मनाक, शर्मसार, तौबा-तौबा.. जैसे शब्दों का प्रयोग किया जो बेहद खेद जनक है। यह सब अधिकारियों की हठधर्मिता का नतीजा है। महापौर व मेला समिति सदस्यों ने विभिन्न अवसरों पर अधिकारियों विशेष तौर पर मेला अधिकारी को कई सुझाव दिए। लेकिन उन्होंने जानबूझ कर सभी सुझावों को दरकिनार कर मनमर्जी के निर्णय लिए। जिसका नतीजा आज सबके सामने है और निगम को आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। समिति सदस्यों ने कलक्टर को बताया कि पूर्व में मेले के सभी प्रवेश मार्गों पर स्वागत द्वार लगाए जाते थे। लेकिन इस बार सिर्फ एक प्रवेश द्वार बनाया गया है। इससे शहर में किसी 126 वर्ष पुराने उल्लास और उमंग से भरे आयोजन का एहसास भी नहीं हो रहा है। मेले में हमेशा से ही ब्रह्माकुमारी, गायत्री परिवार, आर्यसमाज जैसी सामाजिक-धार्मिक जनजागरण करने वाली ख्यातनाम संस्थाओं को प्रदर्शनी के लिए निगम की ओर से टैंट व लाइट की सुविधा निशुल्क उपलब्ध करवाई जाती थी। लेकिन इस बार ऐसी सुविधाएं न देकर उन्हें मेले से दूर किया जा रहा है। मेले को प्लास्टिक मुक्त बनाने के लिए निगम ने पॉलीथिन व पानी की बोतल का उपयोग नहीं करने की सराहनीय पहल की, लेकिन इसके विकल्प के तौर पर पेयजल की कोई व्यवस्था नहीं की। रावण दहन के दिन आए एक लाख से अधिक लोग या तो पानी के लिए तरस गए या फिर उन्हें महंगी दर पर बोतलबंद पानी खरीदने को मजबूर होना पड़ा। मेले से पूर्व ही कई सामाजिक संस्थाओं ने मेले में प्याऊ लगाने के प्रस्ताव दिए थे। निगम अधिकारियों ने न तो उन्हें स्वीकृति दी और न ही मेलार्थियों के लिए स्वच्छ पेयजल की कोई व्यवस्था की। मेले के स्वरूप को बेहतर बनाने के लिए इवेंट कम्पनी का सहयोग लेने तथा मेले के व्यापक प्रचार प्रसार के लिए मेला समिति में कई निर्णय लिए गए थे। लेकिन न तो इवेंट कंपनी को ही जोड़ा जा सका और न ही प्रचार प्रसार के कोई प्रयास हुए। यहां तक की अब तक फ्लेक्स के कायार्देश तक जारी नहीं किए गए हैं। इस कारण हाड़ौती स्तर तक भी मेले का प्रचार नहीं हो रहा है। समिति सदस्यों ने बताया कि शहर के गणमान्य व प्रबुद्धजनों, व्यापारियों, अधिकारियों आदि की सुविधा के लिए कार्यक्रम के वीआईपी पास तथा वाहन पास की सुविधा सदैव से की जाती रही है। लेकिन अधिकारी इस बार इसके लिए भी आनाकानी कर रहे है। इसका नतीजा यह रहा कि रावण दहन के दिन कई प्रबुद्धजनों को अपमानजनक स्थिति का सामना करना पड़ा। कई लोगों ने इसको लेकर नाराजगी तक व्यक्त की है। सदस्यों ने कलक्टर से कहा कि यदि अधिकारियों ने दो दिन में पास तैयार नहीं करवाए तो महापौर व मेला समिति अध्यक्ष अपने स्तर पर पास तैयार कर प्रबुद्धजनों को वितरित कर देंगे।
कई मामलों में अधिकारियों ने दिखाई हठधर्मिता
मेला समिति ने कलक्टर को बताया कि मेले में पूर्व में बॉडी बिल्डिंग शो हुआ करता था, लेकिन आयोजक इस आयोजन से मेला समिति सदस्यों और अधिकारियों को दूर रखते थे। इतना ही नहीं आयोजकों ने तत्कालीन आयुक्त डॉ. विक्रम जिन्दल तक से अभद्रता की थी। इसके बाद मेला समिति ने सर्वसम्मति से बॉडी बिल्डिंग शो नहीं करवाने का निर्णय किया था। इस वर्ष भी बॉर्ड बिल्डिंग शो के लिए समिति इनकार कर चुकी थी, लेकिन समिति के निर्णय को दरकिनार कर अधिकारियों ने अपने स्तर पर बॉडी बिल्डिंग शो करवाने का निर्णय कर लिया। समिति सदस्यों ने कलक्टर को बताया कि मेले में सुरक्षा की दृष्टिकोण से महापौर ने कुछ खुली जगहें बताकर वहां दुकानें आवंटित नहीं करने को कहा था। लेकिन उनकी बात को दरकिनार कर वहां भी दुकानें आवंटित कर दी गईं। यदि मेले में कोई अप्रिय स्थिति बनती है तो इन दुकानों के कारण मेले में आए लोगों के लिए सुरक्षित स्थान तक पहुंचना मुश्किल हो जाएगा। सदस्यों ने कलक्टर को बताया कि लोगों को प्लास्टिक का उपयोग नहीं करने के प्रति जागरूक करने के लिए मेले में यज्ञशाला स्थापित करने का निर्णय मेला समिति में सर्वसम्मति से लिया गया था। प्रयास था कि मेले में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति यज्ञशाला में आहुति देकर प्लास्टिक का उपयोग नहीं करने का संकल्प ले। लेकिन अधिकारियों की हठधर्मिता ने यह भी नहीं होने दिया। मेले में आकर्षण के तौर पर विंटेज कार रैली व म्यूजिक फेस्टीवल के प्रस्ताव को समिति ने सर्वसम्मति से स्वीकृति दी। इसके लिए बजट भी आवंटित कर दिया गया। लेकिन अधिकारियों ने आयोजकों को तैयारी नहीं करने की बात कह दी। मेले में नयापन लाने के लिए अधिकारी उदासीन बने हुए हैं, जिससे यह एतिहासिक मेला चाट-पकौड़ी का मेला बनने की ओर बढ़ रहा है।
रावण के पुतले के मामले में समिति गठित
रावण का पुतला नहीं जलने तथा टूट कर गिरने के मामले में महापौर महेश विजय ने बुधवार को मेला समिति अध्यक्ष राम मोहन मित्रा से चर्चा कर जांच समिति गठित कर दी। महापौर ने बताया कि समिति का अध्यक्ष, निर्माण समिति के अध्यक्ष रमेश चतुर्वेदी को बनाया गया है। समिति में नरेंद्र सिंह हाड़ा, महेश गौतम लल्ली, दिलीप पाठक व विनोद नायक को सदस्य बनाया गया है। समिति सात दिन में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।