संदेश न्यूज। कोटा.
इंद्रप्रस्थ औद्योगिक क्षेत्र और इलेक्ट्रॉनिक जोन में औद्योगिक गतिविधियों के लिए आवंटित भूखंडों पर हॉस्टल व होटल बना देने वाले उद्यमियों को जब से रीको ने आवंटन निरस्त करने और जगह से बेदखल करने के नोटिस थमाए हैं, तब से वे बेचैन हैं। आवंटन रद्द होने के डर से कई उद्यमियों ने होटल व हॉस्टल्स के आगे मसाला उद्योग, कोटा स्टोन यूनिट, इंजीनियरिंग वर्क्स जैसी औद्योगिक गतिविधियों के बोर्ड लगा दिए हैं। ऐसा करके ये उद्यमी राजस्थान राज्य औद्योगिक विकास एवं निवेश निगम (रीको) की नजर से बचे रहेंगे, यह तो समय बताएगा, लेकिन फिलहाल तो उद्यमियों को यह आसान तरीका नजर आ रहा है। इंद्रप्रस्थ औद्योगिक क्षेत्र व इलेक्ट्रॉनिक जोन में निर्माणाधीन व कुछ पुरानी इमारतों पर इस तरह के बोर्ड लगे नजर आए हैं। झालावाड़ रोड पर गोबरिया बावड़ी चौराहे पर स्थित लघु उद्योग एसोसिएशन (दीएसएसआई) के पुरुषार्थ भवन के सामने काफी दिन से सात मंजिला होटल का निर्माण कार्य चल रहा है। रीको की नजर में आने से बचने के लिए होटल मालिक ने निर्माणाधीन इमारत के सामने मसाला उद्योग का बोर्ड लगा दिया। सूत्रों के अनुसार रीको ने होटल मालिक को नोटिस दिया था। नोटिस मिलने के बाद भी मालिक ने काम जारी रखा। इस पर रीको ने अदालत के जरिए इस होटल मालिक को नोटिस भिजवाया। इसके बाद से होटल का निर्माण लगभग बंद सा है और वहां मसाला उद्योग का बोर्ड लगा दिया गया है। इंद्रप्रस्थ औद्योगिक क्षेत्र में कुछ उद्योग मंदी की मार व अन्य कारणों से बंद हुए थे। उद्यमियों ने मशीनरी को एक कोने में समेटकर प्लॉट पर होटल या हॉस्टल बना लिए। इन लोगों ने पुराने उद्योग का बोर्ड वहां से अब तक नहीं हटाया, ताकि रीको की नजर में आज भी वे औद्योगिक संस्थान ही लगें। ऐसे भी उदाहरण है, जिनमें एक ही प्लॉट पर बनी बिल्डिंग में एक तरफ उद्योग और दूसरी तरफ हॉस्टल का बोर्ड लगा है। उल्लेखनीय है कि बगैर इजाजत के भू-उपयोग परिवर्तन कर होटल और हॉस्टल निर्माण करने वाले 57 उद्यमियों के प्लॉट के आवंटन रीको ने निरस्त कर दिए हैं। आवंटन रद्द होने के बाद भी लगभग सभी होटल और हॉस्टल फिलहाल बेरोकटोक चल रहे हैं। ये लोग लंबे समय से सरकार के इस जमीन का भू-उपयोग परिवर्तन करके वहां उद्योग की जगह व्यावसायिक गतिविधियों के संचालन की अनुमति मांग रहे हैं। राज्य सरकार ने जब से आईएल फैक्ट्री की जमीन के भू-उपयोग परिवर्तन की मंजूरी दी है, तब से इन उद्यमियों ने उसी की तर्ज पर उनके भूखंडों का भी भू-उपयोग परिवर्तन करने की मांग तेज कर दी है।
पांच भूखंडों पर होटल बनाने की इजाजत दे चुका रीको, दोहरे मानक अपनाने का आरोप
दीएसएसआई एसोसिएशन के संस्थापक अध्यक्ष गोविंद राम मित्तल ने बताया कि इंद्रप्रस्थ औद्योगिक क्षेत्र और इलेक्ट्रॉनिक जोन में रीको ने पांच भूखंड मालिकों को होटल बनाने की इजाजत दी थी। इसके बाद अनुमति मिलने की उम्मीद में अन्य उद्यमियों ने भी भू-उपयोग परिवर्तन के लिए रीको में आवेदन कर दिया। लेकिन दोहरी नीति अपनाते हुए और नियमों का हवाला देते हुए रीको अब अन्य उद्यमियों को भू-उपयोग परिवर्तन की इजाजत नहीं दे रहा। मित्तल ने रीको के वरिष्ठ क्षेत्रीय प्रबंधक एसके गर्ग के उस बयान को गलत बताया, जिसमें उन्होंने कहा था कि एक भी उद्यमी को भू-उपयोग परिवर्तन की इजाजत नहीं दी। मित्तल ने बताया कि मास्टरप्लान में छेड़छाड़ नहीं करने के हाई कोर्ट के आदेश का हवाला देकर रीको दूसरे उद्यमियों को भू-उपयोग परिवर्तन की इजाजत देने से मना कर रहा है। जबकि नियमानुसार मास्टरप्लान का हर दो साल में रिव्यू होना चाहिए।
दो गुना चार्जेज लेकर रीको कर सकता है भू-उपयोग परिवर्तन
मित्तल ने बताया कि रीको दो गुना चार्जेज लेकर भू-उपयोग परिवर्तन की अनुमति दे सकता है। यह आदेश शहरी विकास की सबसे बड़ी इंफ्रास्ट्रक्चर डवलपमेंट कमेटी दे चुकी है। इस कमेटी में 7 आईएएस स्तर के अधिकारी होते हैं। इस कमेटी का निर्णय है कि रीको दो गुना चार्ज लेकर 15 प्रतिशत से ज्यादा भू-उपयोग परिवर्तन की इजाजत दे सकता है। अभी रीको उद्यमियों से तीन हजार रुपए प्रति वर्गमीटर की दर से राशि लेता है। इस तरह तीन की जगह छह हजार रुपए प्रति वर्गमीटर की दर से राशि लेकर भू-उपयोग परिवर्तन किया जा सकता है।
एमएसएमई ने होटल और हॉस्टल को रखा सर्विस उद्योग में
मित्तल के अनुसार उद्योगों की परिभाषा निर्धारित करने वाली सबसे बड़ी संस्था माइक्रो स्माल मीडियम इंटरप्राइजेज (एमएसएमई) ने होटल और हॉस्टल को सर्विस उद्योग की श्रेणी में रखा है। इसके बाद भी रीको द्वारा भू-उपयोग परिवर्तन की इजाजत नहीं देना, शहर के विकास की सबसे बड़ी बाधा है। यहां यह बात समझना जरूरी है कि सरकारी नीतियों के कारण ही कोटा के उद्योग दम तोड़ रहे हैं। ऐसे में अन्य व्यवसायों की ओर जाना उद्यमियों की मजबूरी है। विरोध की जगह सरकार को इन उद्यमियों का सहयोग करना चाहिए
10 हजार से ज्यादा बच्चे रह रहे यहां
इंद्रप्रस्थ औद्योगिक क्षेत्र और इलेक्ट्रॉनिक जोन में 119 होटल और हॉस्टल का निर्माण हो चुका है। एक-एक होटल और हॉस्टल में 70 से 80 बच्चे रह रहे हैं। इस तरह लगभग 10 हजार से अधिक बच्चे पढ़ने के लिए रह रहे हैं। उद्योगों के बंद होने के बाद होटल व हॉस्टल के निर्माण में यहां लगभग एक हजार करोड़ रुपए का निवेश हुआ। उद्योग बंद होने बाद वीरान हुआ यह क्षेत्र विद्यार्थियों के कारण गुलजार हुआ है।