संदेश न्यूज। कोटा.
दशहरा मेला में चम्बल केसरी कुश्ती दंगल शुरू होने में तो एक दिन बाकी है लेकिन यहां रावण दहन के साथ शुरू हुआ अधिकारियों व निगम के नेताओं के बीच जुबानी दंगल बंद होने का नाम नहीं ले रहा है। गुरुवार को भी आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी रहा। मेला समिति की बैठक में मेला अधिकारी मौजूद नहीं रही और महापौर ने बयानबाजी जारी रखी। बैठक में महापौर ने कहा कि दशहरे मेले की दुर्दशा के लिए हम कोटा शहर की जनता से माफी मांगते हैं। मेले की व्यवस्था में सुधार के लिए काम करते रहेंगे, झाडू लगानी पड़ी तो लगाएंगे। अधिकारी आते-जाते रहते है, मेला कोटा शहर का है। मेला अधिकारी बैठक को छोड़कर जनसुनवाई में गई हैं, क्या ये मेले से अधिक जरूरी था, व्यापारियों की समस्याओं पर अधिकारियों द्वारा कोई तवज्जों नहीं दी जा रही है।
पुलिस का दोहराया रवैया
महापौर ने कहा कि पुलिस का दोहरा रवैया देखने को मिल रहा है, एक तरफ तो झूला संचालक 2-3 फीट आगे क्या निकल गए, पुलिस ने पिटाई कर दी। दूसरी तरफ कई दुकानदारों ने काफी अतिक्रमण कर रखा है, उस पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
सुनवाई नहीं हुई तो आंदोलन
समिति सदस्य महेश गौत्तम लल्ली ने कहा कि अगर अधिकारियों ने सुनवाई नहीं की तो भाजपा कार्यकर्ता आंदोलन करने में भी पीछे नहीं रहेंगे। बैठक में मेले के प्रचार को लेकर स्वागत गेटों पर अभी तक फ्लैक्स नहीं लगाने को लेकर भी नाराजगी व्यक्त की। सदस्य रमेश चतुर्वेदी ने वीआईपी पास और वाहन पास नहीं बनाने का विरोध किया। विकास तवंर ने पशु मेले की अव्यवस्थाओं को लेकर नाराजगी जताई।
साइकिल स्टैंड को लेकर रवैया अलग क्यों ?
मेला समिति अध्यक्ष राम मोहन मित्रा ने कहा कि मेले में दो बार ऑनलाइन टेंडर फेल होने के बाद खुली नीलामी में कोई नहीं आया, फिर एक ठेकेदार 10.35 लाख रूपए में टेंडर लेने को तैयार हो गया था, फिर भी उसको नहीं देकर 8 लाख रूपए में साइकिल स्टैंड का टेंडर दिया है। महापौर ने कहा कि जब रावण के टेंडर में अनुभवी की दर ज्यादा देखकर कम दर वाले को देखा गया तो साइकिल स्टैंड में अधिक दर वाले को क्यों नहीं दिया गया।
रियासतकालीन इमारतों की सजावट पर नाराजगी
मेला समिति अध्यक्ष राम मोहन मित्रा ने बताया कि इस बार गढ़ पैलेस पर की गई साज-सजावट को लेकर विधायक कल्पना देवी ने आपत्ति जताई है, जिसमें उन्होने कहा कि इस बार सबसे घटिया सजावट हुई है। नरेन्द्र हाड़ा ने बताया कि रियासत कालीन दरवाजों पर अभी तक सजावट नहीं की गई है।
बिना एजेंडे के बैठक हुई, पालना कैसे होगी
मेला अधिकारी से बिना पत्र ही बैठक करने की कहा, लेकिन मेला अधिकारी कलक्टर की बैठक में चली गई, इस पर सहायक मेला अधिकारी से महापौर ने बैठका एजेंडा जारी करवाया, ऐसे में यह सवाल उठ रहे हैं कि इस मिटिंग में हुए निर्णयों की क्या पालना होगी, क्योंकि अधिकारिक मिटिंग में हुए निर्णयों की पालना नहीं हुई।
कलक्टर ने कहा मिलकर काम करें
इधर, दशहरे मेले के आयोजन को लेकर चल रहे विवाद के बारे में गुरुवार को जिला कलक्टर ओम कसेरा ने निगम के अधिकारियों के साथ बैठक कर कहा कि जनप्रतिनिधि और अधिकारी आपस में मिलकर काम करें, ताकि विवाद नहीं हो।
पुराने पशु मेले में पशु बांधे हटाने से इनकार
पशु पालकों के लिए कोई व्यवस्था नहीं होने से आक्रोशित पशु पालकों ने पुराने पशु मेले में ही पशुओं को बांध दिया है। जानकारी पर राजस्व अधिकारी रिंकल गुप्ता हटाने के लिए गई तो पशु पालकों ने हटने से इनकार कर दिया। पशु पालकों ने कहा कि बकरा मंडी में कोई व्यवस्थाएं नहीं है, ऐसे में यहां पर ही पशु मेला लगाया गया है।
बॉडी बिल्डिंग प्रतियोगिता नहीं होने देंगे
महापौर महेश विजय व नरेन्द्र हाड़ा ने कहा कि बॉडी बिल्डिंग प्रतियोगिता का समिति में नहीं होने के बाद भी अधिकारी ये प्रतियोगिता करवा रहे हैं, हम इसको विरोध करेंगे, प्रतियोगिता में बंटनी वाली इनामी राशि का भुगतान अधिकारियों की तनख्वाह में से कटवाया जाएगा। ये प्रतियोगिता किसी भी हाल में नहीं होने देंगे।
मेलाधिकारी ही नहीं, महापौर व मेला समिति भी दोषी: सुवालका
संदेश न्यूज। कोटा. नगर निगम नेता प्रतिपक्ष अनिल सुवालका ने कहा कि दशहरे मेले में पिछले एक माह में हुए हर टेंडर में महापौर महेश विजय ने अपने चहेतों को फायदा पहुंचाने की कोशिश की है। मेलाधिकारी कीर्ति राठौड़ एवं अन्य अधिकारियों पर अनावश्यक दबाव बनाया जा रहा था लेकिन मेलाधिकारी द्वारा उनकी नाजायज मांगे नहीं मानी। इसीलिए उन्हें निशाना बनाया जा रहा है। सुवालका ने आरोप लगाया कि दशहरे मेले में होने वाली सिने संध्या व पंजाबी नाइट के ठेकों में भी ठेकेदारों से मिलीभगत का खेल कर तीन गुना तक दरें डलवाई गई बाद में सोनू निगम का कार्यक्रम कांग्रेस पार्षदों एवं शहर के आमजन के विरोध के बाद निरस्त करना पड़ा।
टेंट की कार्यानुभव की शर्त क्यों बदली?
इसके बाद अपनी चाहती फर्म को मेले में टेंट लगाने के काम में महापौर द्वारा अधिकारियों पर दबाव बनाया गया और 33% कार्यानुभव कि शर्त को बदल कर 50% करने के लिए कई यू ओ नॉट लिखे गए जबकि निगम अधिकारियों ने ज्यादा से ज्यादा संवेदक टेंडर में भाग ले सकें, ये सोच कर कार्यानुभव की शर्त 33% की थी।