संदेश न्यूज। कोटा. दशहरे मेले में महापौर व पार्षदों का अधिकारियों के साथ विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। नगर निगम भवन से शुरू हुई लड़ाई, दशहरा मैदान के बाद अब घर तक पहुंच गई है। महापौर व जनप्रतिनिधियों ने इसे अपने आत्म सम्मान का विषय बना लिया। जहां अधिकारियों ने राज्य में सरकार बदलते ही निगम के भाजपा बोर्ड को दरकिनार कर विपक्ष की तरफ झुकाव दिखाना शुरू कर दिया। वहीं महापौर, मेला समिति के सदस्यों व पार्षदों के अधिकारों व आत्म सम्मान पर अधिकारियों की हल्की सी चोट को बर्दाश्त करना बंद कर दिया है। शनिवार को यही देखने को मिला। गत शुक्रवार को निगम की प्रदर्शनी का उद्घाटन मेलाधिकारी कीर्ति राठौड़ द्वारा नेता प्रतिपक्ष अनिल सुवालका से करवा दिए जाने से महापौर महेश विजय पहले से ही भरे हुए थे। शनिवार को जब उन्हें पता चला कि वीआईपी पास में नीचे उनका व उप महापौर का नाम नहीं है तथा वाहन पास भी उन्हें नहीं देने की तैयारी हो रही है तो उन्होंने आयुक्त वासुदेव मालावत को फोन लगाया। मालावत ने महापौर का फोन नहीं उठाया तो महापौर व अन्य पार्षद नाराज हो गए और सीधे आयुक्त मालावत के घर पहुंच गए। यहां महापौर ने मालावत से कहा कि मेला अधिकारी की ओर से उनका सरासर अपमान किया जा रहा है। वे नगर निगम के मुखिया है, लेकिन एक दिन पूर्व दशहरे मेले में नगर निगम की प्रदर्शनी का उद्घाटन मेला अधिकारी कीर्ति राठौड़ ने उन्हें नहीं बुलाकर नेता प्रतिपक्ष अनिल सुवालका के साथ खुद ने ही कर दिया। ये सरासर उनका अपमान है, ऐसी हरकतें सहन नहीं की जाएंगी। साथ ही उन्होंने आयुक्त के समक्ष वाहन पास व वीआईपी पास के मामले में भी नाराजगी जताई। गौरतलब है कि मेले में आने के लिए शहर के प्रबुद्धजनों व अपने खास लोगों को महापौर व पार्षदों की ओर से अब तक वीआईपी पास व वाहन पास बांटे जाते थे, लेकिन इस बार महापौर व पार्षदों को वीआईपी पास मिले ही नहीं। वीआईपी पास के नीचे निगम की ओर से महापौर व उप महापौर का भी नाम होता था, लेकिन मेला अधिकारी कीर्ति राठौड़ ने कर्मचारियों से महापौर व उप महापौर की गाड़ी के नम्बर मांग लिए ताकि उन्हें मात्र उनकी गाड़ियों के ही वीआईपी पास भिजवा जा सके।
बदल लिया पाला, भाजपा बोर्ड को हाशिए पर डाला
दशहरा मेला पूरे शहर का मेला है, लेकिन महापौर, पार्षदों व अधिकारियों के बीच चल रही खींचतान व एक दूसरे को नीचा दिखाने की होड़ से मेले की छवि धूमिल हो रही है। जानकारों के अनुसार जब से राज्य में कांग्रेस की सरकार आई है, अधिकारियों ने महापौर व उप महापौर समेत संपूर्ण भाजपा बोर्ड को दरकिनार करना शुरू कर दिया है। मेले के कार्यक्रमों को फाइनल करने से लेकर मेले में टेंंट, स्वागत द्वार आदि सभी व्यवस्थाओं में न तो मेला समिति की राय को तव्वजों दी जा रही और न ही महापौर व उप महापौर की सुनी जा रही। जनप्रतिनिधि जहां उसे अपने सम्मान के साथ जोड़ कर देख रहे हैं, वहीं अधिकारियों को महापौर व पार्षदों की नाराजगी के बाद भी खुद को कोई नुकसान होता नजर नहीं आ रहा। नुकसान हो रहा है तो कोटा की छवि व दशहरा मेले को हो रहा है।