संदेश न्यूज। कोटा. तलवण्डी स्थित किंकर हॉस्पिटल में शनिवार को एक चौंकाने वाला मामला सामने आया। यहां एक 80 वर्षीय वृद्धा ने आईवीएफ के माध्यम से एक बालिका को जन्म दिया है। जानकारी के अनुसार बूंदी जिले के कापरेन के पास स्थित कवंरपुरा गांव निवासी प्रभु बाई ने 80 साल की उम्र में टेस्ट ट्यूब बेबी के माध्यम से कोटा के किंकर हॉस्पिटल में एक बालिका को जन्म दिया। डिलेवरी के बाद प्रसूता और बालिका दोनों स्वस्थ है। यह बालिका करीब 600 ग्राम की होने के कारण अन्य हॉस्पिटल के एनआईसीयू में भर्ती कराया गया है। जबकि बालिका की मां किंकर हॉस्पिटल में ही भर्ती है।
40-45 वर्ष की उम्र में अंडे बनना बंद हो जाते हैं
चिकित्सकों के अनुसार सामान्यतया 40-45 साल की उम्र के बाद महिला के शरीर में अंडे बनना बंद हो जाता है, ऐसी स्थिति में 80 साल की उम्र में मां बनना किसी खतरे से खाली नहीं है। इस उम्र में आॅपरेशन से डिलेवरी होती है। 50 साल की उम्र के बाद महिला के इस्ट्रोजन हार्मोन बनाने की दवा दी जाती है। साथ किसी दूसरी महिला जो डॉनर के रूप में काम करती है, उसके प्रजनन के अंडे लेकर लेब के अंदर रखे जाते हैं। उसके बाद उस महिला के पति का शुक्राणु लेकर इन अंडों से मिलाया जाता है। इनको हॉस्पिटल की लेब में 72 घंटों तक रखा जाता है। उसके बाद जब बच्चा बनने की क्रिया शुरू हो जाती है तो उस शुक्राणु को पीड़ित महिला की कोख में रखा जाता है।
ये किसी करिश्मे से कम नहीं
60 साल की उम्र के बाद आईवीएफ का सहारा लेना खतरे से कम नहीं होता, क्योंकि इस उम्र के साथ ही मनुष्य के शरीर में कई सारे रोग शुरू हो जाते हैं। ऐसे में इस उम्र में महिला को कई सारी परेशानियों से गुजरना पड़ता है। ऐसी स्थिति में बच्चा 6 से 7 महीने में पैदा होता है, पूरे 9 माह निकलना बहुत मुश्किल होता है। क्योंकि सामान्यत ही पे्रग्नेंसी के दौरान महिला को हाथ-पैर, बदन और सिर दर्द जैसे दर्द का सामना करना पड़ता है। फिर इस उम्र में तो महिला की जान भी जा सकती है। लेकिन 80 साल की उम्र में महिला और बच्ची सुरक्षित है, तो ये किसी करिश्मे से कम नहीं है। – डॉ. अर्चना मित्तल, गायनोलॉजिस्ट