संदेश न्यूज, नई दिल्ली। बॉलीवुड फिल्मों में गीतों और प्रसंगों के जरिए सुहाग के प्रति प्रेम एवं समर्पण के प्रतीक करवाचौथ पर्व का सुंदर रूप जब-तब दिखाई देता रहता है। बहुत से फिल्मकारों ने करवाचौथ के गीतों के माध्यम से नायक-नायिका के प्रेमाभिव्यक्ति को सिलवर स्क्रीन पर प्रस्तुत किया है। करवाचौथ के सामयिक गीतों की विशेषता यह रही है कि इनका फिल्मांकन बेहद प्रभावी ढंग से किया गया है। करवाचौथ के ज्यादातर गीतों में पति-पत्नी के किरदारों को अभिनीत करते समय नायक-नायिका अपनी मोहब्बत का इजहार करते हुए एक दूसरे की हमेशा सलामती की दुआ मांगते नजर आते हैं जबकि कुछ गीतों में विरह की व्याकुलता को प्रदर्शित किया गया है। कुछेक पुरानी फिल्मों में करवाचौथ के गीतों को बेहद सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया गया है। ऐसी प्रस्तुति आज भी कुछ फिल्मकार यदा-कदा अपनी फिल्मों में दे रहे हैं। साठ-सत्तर के दशक में एक फिल्म ह्यसुहाग रातह्ण आयी थी, जिसमें एक गीत जब तक गंगा मैया में पानी रहे, मेरे सजना तेरी जिंदगानी रहे, में करवाचौथ की महत्ता को प्रदर्शित किया गया था। सुहागरात को ही घर छोड़कर कहीं चले गये पति के प्रति पत्नी का विश्वास एवं समर्पण भाव के साथ ही भारतीय नारी की एकनिष्ठा की छवि इस गीत में नजर आती है। भारतीय समाज में पारंपरिक विवाह के साथ ही गंधर्व विवाह भी एक अलग वजूद रखता है। दक्षिण भारत की एक फिल्म के हिन्दी रीमेक मांग भरो सजना ऐसे ही संदर्भ से प्रेरित थी। फिल्म के नायक का नायिका से पारंपरिक विवाह होता है जबकि उसका पहले ही सहनायिका से गंधर्व विवाह हो चुका रहता है। एक पति के प्रति दोनों पत्नियों का एक जैसा प्रेम और समर्पण करवाचौथ के गीत ” दीपक मेरे सुहाग का जलता रहे, जलता रहे, चांद सूरज बनके निकलता रहे, में अभिव्यक्त होता है। अपने समय का यह सुपरहिट गीत आज भी करवाचौथ के मौके पर सुनाई दे जाता है। हिन्दू सामाजिक मान्यता के मुताबिक करवाचौथ का व्रत पति या भावी पति के लिए रखा जाता है। आदित्य चोपड़ा की फिल्म ‘ दिल वाले दुल्हनिया ले जायेंगे ‘ में नायिका भावी पति के बजाय अपने प्रेमी की छवि दिल में संजोए रखती है, और करवाचौथ का व्रत भी वह भावी पति के बजाय प्रेमी का अक्श देखकर ही तोड़ती है। नये फिल्मकारों ने अपनी पारिवारिक फिल्मों के गीतों में करवाचौथ को सामयिक संदर्भों में स्थान दिया है। चाहे वह करण जौहर की कभी खुशी कभी गम हो या संजय लीला भंसाली की ह्यहम दिल दे चुके सनम हो। इन फिल्मों में करवाचौथ के दौरान पुरानी पीढ़ी के किरदारों के साथ ही नयी पीढ़ी की नायिकाएं अपने नायक से प्रेम की अठखेलियां करती नजर आती हैं। हम दिल दे चुके सनम फिल्म में करवाचौथ के चांद को इंगित करके ह्यचांद छुपा बादल में शरमा के, मेरी जाना सीने से लग जा तू गीत के जरिए नायिका से अपनी मोहब्बत का इजहार करता है।