संदेश न्यूज। कोटा. कोटा के हजारों पेंशनर्स के स्वास्थ्य पर सरकार ने सीधा प्रहार किया है। पेंशनर्स को निजी चिकित्सकों द्वारा लिखी जाने वाली दवा अब उपभोक्ता भण्डार से नहीं मिल रही है। पेंशनर्स को प्रतिमाह हजारों की दवाएं बाजार से लेनी पड़ रही है, जिससे उन पर भारी आर्थिक भार पड़ रहा है। पेंशनर्स को हार्ट, न्यूरो, डायबिटिक व हड्डी रोगों की अधिक समस्या रहती है और इन समस्याओं को दूर करने के लिए सरकार के आदेश पर निजी अस्पताल के चिकित्सकों द्वारा लिखी जाने वाली दवाओं को वह सीधे अपनी डायरी के माध्यम से उपभोक्ता भण्डार से लेते थे। इस बार सरकार ने कोटा के सुधा अस्पताल, कोटा हार्टव जायसवाल अस्पताल के चिकित्सकों को दवाएं लिखने के आदेश को रिवाइज नहीं किया है, जिस कारण बुजुर्गों को अब सरकारी अस्पतालों के चक्कर काटने पड़ रहे हैं, लेकिन उन्हें वहां भी धक्के खाने पड़ रहे हैं। कोटा जिले में करीब 17 हजार पेंशनर्स हैं जिसमें से 95 प्रतिशत से अधिक चिकित्सकों से उपचार करा रहे हैं। एक पेंशनर्स को साल में 20 हजार रूपए तक की दवाएं निशुल्क मिलती है, लेकिन यदि बीमारी गंभीर है तो जिला कलक्टर के माध्यम से वह साल में एक लाख तक की दवाएं ले सकता है। पेंशनर्स की हर माह की पहली तारीख व 16 तारीख को जिला प्रशासन के साथ बैठक होती है और उसके बाद जिन्हें अपनी दवाओं के लिए राशी बढ़वानी होती है वह बढ़वा लेते हैं। इसके साथ ही यदि एक लाख से भी अधिक का उपचार कराना होता हैतो सरकार उसके लिए भी सहायता देती है।