संदेश न्यूज,कोटा। शहरवासियों के लगातार अनुरोध और आंदोलन के बाद करीब सवा दो साल पहले सड़कों पर आई सिटी बसें एक बार फिर खड़ी हो गई है। बहुत ही कम समय में लोगों की आदतों में शामिल हुई ये सिटी बसें, आस-पास के ऐसे ग्रामीण स्थल जहां कोई पब्लिक ट्रांसपोर्ट उपलब्ध नहीं होता था, वहां भी बसें पहुंचने लगी थी। शहर की जरूरत बन चुकी ये सिटी बसें एक बार फिर नगर निगम और जिला प्रशासन की उपेक्षा के चलते 22 सितंबर से बंद हैं। एक बार फिर लोग आॅटो, टेम्पो और मिनी बसों में सफर करने में मजबूर हो गए हैं। शहरवासियों से मनमाना किराया वसूला जा रहा है, साथ ही दूर-दराज गांवों में आने
जाने के लिए लोगों को भारी किराया देना पड़ रहा है या बहुत समय खराब करने के बाद मिलने वाले साधनों से आना पड़ रहा है। ऐसे में कोटा एक बार फिर ‘बेबस’ हो गया है। बेबस सिर्फ इसीलिए नहीं कि सिटी बसों का संचालन बंद हो गया है बल्कि इसलिए बेबस है क्योंकि यहां के जनप्रतिनिधियों और जिला प्रशासन के अधिकारियों को आमजन की मूलभूत सुविधाओं को लेकर भी चिंता नहीं है। जनता का हाल यह है कि उन्हें जब चाहे सुविधा दे दी जाती है और जब चाहे उनसे सुविधा ले ली जाती है।