नई दिल्ली। शीतकालीन सत्र से एक दिन पहले रविवार को संसद की लाइब्रेरी बिल्डिंग में सर्वदलीय बैठक बुलाई गई। बैठक की अध्यक्षता संसदीय मामलों के मंत्री प्रहलाद जोशी ने की। इसमें 27 दलों के प्रतिनिधि शामिल हुए। बैठक में विपक्ष ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला की हिरासत का मुद्दा उठाया और उन्हें सत्र में शामिल होने की अनुमति देने की मांग की। प्रहलाद जोशी ने कहा कि प्रधानमंत्री ने आश्वासन दिया है कि सरकार नियमों के अनुरूप और संसदीय कार्यप्रणाली के अनुसार सभी मुद्दों पर चर्चा करने के लिए तैयार है। संसद का शीतकालीन सत्र 18 नवंबर से 13 दिसंबर तक चलेगा। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सदन का सबसे महत्वपूर्ण काम चर्चा करना है। यह सत्र भी पिछले सत्र की तरह ही परिणाम देने वाला होना चाहिए। संसद में सकारात्मक चर्चा नौकरशाहों को भी सचेत रखता है। लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने बैठक में कहा कि आगामी संसद सत्र के दौरान आर्थिक मंदी, रोजगार की कमी और किसानों की समस्याओं जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर अवश्य रूप से चर्चा की जानी चाहिए। नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसद हसनैन मसूदी ने कहा कि यह सरकार की संसदीय बाध्यता है कि सत्र में फारूक अब्दुल्ला की सहभागिता सुनिश्चित की जाए। कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा, ह्यह्यएक सांसद को अवैध तरीके से हिरासत में कैसे रखा जा सकता है? उन्हें संसदीय प्रक्रिया में शामिल होने की अनुमति दी जानी चाहिए। दरअसल, फारूक और उनके बेटे उमर अब्दुल्ला जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश में बांटने के फैसले बाद से ही हिरासत में हैं। उन्हें नागरिक सुरक्षा कानून (पीएसए) के तहत हिरासत में लिया गया है। यह कानून फारूक के पिता शेख मोहम्मद अब्दुल्ला ने 1978 में अपने मुख्यमंत्रित्व कार्यकाल में बनाया था।