नई दिल्ली. सरकार ने मंगलवार को राज्यसभा में कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र का जल स्तर बढ़ने से देश की वाणिज्यिक राजधानी मुंबई को तत्काल कोई खतरा नहीं है। पृथ्वी विज्ञान मंत्री डा. हर्षवर्धन ने सदन में प्रश्नकाल के दौरान एक पूरक प्रश्न के उत्तर में कहा कि समुद्र के जलस्तर में धीमी गति से होने वाली वृद्धि मात्र से तटीय क्षेत्र तुरंत प्रभावित नहीं हो सकते। लेकिन जल स्तर में होने वाली वृद्धि से तूफानी लहरों, सुनामी और तट क्षरण के कारण निचले इलाके बाढ़ कर चपेट में आ सकते हैं। उन्होेंने कहा कि देश के दस बंदरगाह शहर समुद्र का जल स्तर बढ़ने से प्रभावित हो सकते हैं। इनमें कोलकाता का पर्ल हार्बर, ओखा, मुंबई, कोच्चि और विजाग भी शामिल है। उन्होंने कहा कि स्वायत्त संस्थान इंडियन नेशनल सेंटर फॉर ओशन इंफॉर्मेशंस सर्विसेस ने मुंबई में समुद्रस्तर मापी के आंकड़ों का इस्तेमाल करके समुद्र स्तर में बदलाव के दीर्घकालिक रुझानों का अनुमान लगाया गया है। वर्ष 1878 से 2005 के आंकड़ों के अनुसार समुद्री जल स्तर में प्रतिवर्ष 0.74 मिली मीटर की वृद्धि हुई है। मुंबई तट के वर्तमान समुद्र स्तर की तुलना में वर्ष 2050 तक 33.3 मिलीमीटर की बढ़ोतरी हो जाएगी। मंत्री ने कहा कि समुद्र स्तर में वृद्धि के कारण तट पर पड़ने वाले संभावित प्रभाव का कोई अनुमान नहीं लगाया गया है। उपलब्ध आंकडों के आधार से पता लगता है कि मुंबई क्षेत्र अधिक संवेदनशील श्रेणी में नहीं है।