गुवाहाटी. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक पेश कर दिया है। कांग्रेस समेत कई राजनीतिक दल इस बिल में मुस्लिम शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता नहीं दिए जाने के प्रावधान का जबर्दस्त विरोध कर रहे हैं। इस विधेयक के कारण पूर्वोत्तर के राज्यों में व्यापक प्रदर्शन हो रहे हैं और काफी संख्या में लोग तथा संगठन विधेयक का विरोध कर रहे हैं। असम में मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल के चबुआ स्थित निवास और गुवाहाटी में वित्त मंत्री हिमंत बिस्व सरमा के घर के बाहर विधेयक विरोधी पोस्टर चिपकाए गए। असम समेत पूर्वोत्तर के कई हिस्सों में कई संगठनों ने नागरिकता संशोधन विधेयक के विरोध में दो दिवसीय बंद का ऐलान किया है। प्रभावशाली पूर्वोत्तर छात्र संगठन (नेसो) समेत दूसरे छात्र संगठनों ने क्षेत्र में 10 दिसम्बर को 11 घंटे के बंद का आह्वान किया है।
स्थानीय समुदायों को पहचान के संकट का डर : कोछ राजबोंगशी को छोड़कर बाकी समुदाय अधिकतर ऊपरी असम से हैं जो अब बीजेपी का गढ़ बन चुका है। लेकिन बंद में शामिल इन सभी संगठनों का कहना है कि बीजेपी साल 2014 में किया अपना वादा भूल गई है। इन समुदायों को डर है कि अगर नागरिकता संशोधन विधेयक पास हो गया तो उनकी पहचान ही संकट में पड़ जाएगी।
हिंदू-मुस्मिल एकता के खिलाफ है विधेयक : त्रिपुरा में इसके विरोध में जबर्दस्त प्रदर्शन हुआ। असम के गुवाहाटी में बंद के आह्वान की वजह से बाजार पूरी तरह से बंद हैं, जिसके कारण आम जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। असम के धुबरी से लोकसभा एमपी बदरुद्दीन अजमल का कहना है, नागरिकता संशोधन विधेयक हिंदू-मुस्लिम एकता के खिलाफ है। हम इस विधेयक को खारिज करते हैं, इस मुद्दे पर विपक्ष हमारे साथ है। हम इस विधेयक को पास नहीं होने देंगे।
विधेयक के खिलाफ नग्न प्रदर्शन : असम में नागरिकता संशोधन विधेयक के खिलाफ विभिन्न प्रकार से विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं जिनमें नग्न होकर प्रदर्शन करना और तलवार लेकर प्रदर्शन करना भी शामिल है। मुख्यमंत्री सवार्नंद सोनोवाल के चबुआ स्थित निवास और गुवाहाटी में वित्त मंत्री हिमंत बिस्व सरमा के घर के बाहर विधेयक विरोधी पोस्टर चिपकाए गए। आॅल असम स्टूडेंट यूनियन (आसू) ने अपने मुख्यालय से मशाल जलाकर जुलुस निकाला और गुवाहाटी की सड़कों पर प्रदर्शन किया।
गुवाहाटी में बाजार पूरी तरह बंद रहे : आसू के मुख्य सलाहकार समुज्जल कुमार भट्टाचार्य ने कहा कि राज्य विधेयक को किसी भी रूप में स्वीकार नहीं करेगा। उत्तर पूर्व के मूल निवासियों का कहना है कि बाहर से आकर नागरिकता लेने वाले लोगों से उनकी पहचान और आजीविका को खतरा है। आल कोछ राजबोंगशी स्टूडेंट्स (एकेआरएसयू) के जनरल सेक्रटरी गोकुल बर्मन का कहना है, हमारी लड़ाई नागरिका संशोधन विधेयक के खिलाफ और असम की छह अन्य पिछड़ा वर्ग की जातियों (चुटिया, मटक, मोरन, कोछ राजबोंगशी, ताई अहोम, चाय बागान में काम करने वाली जनजातियों) को अनुसूचित जनजाति का दर्ज देने को लेकर है जिसे लंबे समय से लटकाए रखा गया है।