संदेश न्यूज। कोटा.
मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में बाघों की ट्रैकिंग और मॉनिटरिंग पर उठ रहे सवालों के बीच यह बात सामने आई कि बाघिन एमटी-2 की तलाश तब तेज हुई, जब जंगल में उसके शव की तीखी दुर्गंध फैलने लगी।
सूत्रों के अनुसार बाघिन की लोकेशन एक ही जगह पर मिल रही थी, इसे देखते हुए वनकर्मी आशंकित तो थे, लेकिन वह स्थान इतने सघन वन क्षेत्र में था कि वहां पहुंचना आसान नहीं था। इसलिए वे वहां तक पहुंचने के बारे में सोच-विचार करते ही रह गए। घने जंगल में उस तरफ बाघिन के हमले का खतरा भी था। खोजबीन के दौरान उन्हें उस तरफ से दुर्गंध आती दिखी तो पहले उन्होंने समझा कि बाघ द्वारा मारा गया कोई जानवर होगा, लेकिन दुर्गंध बढ़ने पर उन्हें अंदेशा हुआ कि बाघिन के साथ ही कोई हादसा तो नहीं हो गया। इस पर वे बड़ी मुश्किल से उस जगह पहुंचे, जहां से दुर्गंध आ रही थी।
वहां बाघिन का शव देख वे स्तब्ध रह गए। शव से करीब सौ मीटर दूर ही घायल अवस्था में शावक मिला, जो सदमे की हालत में था। उसे भी वहां से ले आए। यह जगह बेवड़ा तलाई वन क्षेत्र में बरसाती नाले के दूसरी तरफ है। वनकर्मियों को शव को लाने के लिए नाला पार करके पैदल जाना पड़ा।
बाघ एमटी-1 के हमले से पेट, पैर और गर्दन पर हो गए जख्म
कोटा. बाघिन का शव सड़ी-गली हालत में मिला। प्रारंभिक तौर माना गया कि शव मिलने से 48 घंटे पहले बाघिन की मौत हो गई थी। पोस्टमार्टम टीम के प्रभारी डॉ. राजीव गर्ग ने बाघिन के शव को देखने के बाद बताया कि बाघिन एमटी-2 ओर बाघ एमटी-1 के बीच मैटिंग को लेकर संघर्ष हुआ लगता है। इस कारण बाघिन के दाईं तरफ पेट, पैर और गर्दन पर चोट के निशान मिले हैं। बाघिन के पेट में गहरा घाव होने के कारण पेट के अंग बाहर निकले हुए थे।
बाघिन के शरीर व सिर के अंदर का हिस्सा भी पूरी तरह से सड़ गया था। जिसमें काफी कीड़े पड़े हुए थे। पोस्टमार्टम डॉ. राजीव गर्ग, अखिलेश पांडे और डॉ. तेजेन्द्र पाल रियाड़ की टीम ने किया। इसके अलावा हेड आॅफ द फॉरेस्ट फोर्स जीवी रेड्डी और चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन अरिंदम तोमर और एनटीसीए के एक प्रतिनिधि दौलतसिंह शक्तावत भी पोस्टमार्टम के समय मौजूद थे। मीडियाकर्मियों को वहां बुलाया गया और वीडियो रिकॉर्डिंग करवाई गई।
चिड़ियाघर लाए जा सकते हैं शावक
मां की मौत के बाद दोनों शावक अकेले हो गए हैं। यदि दूसरा शावक जीवित मिल जाता है तो दोनों को देखभाल के लिए कोटा चिड़ियाघर लाया जा सकता है। हालांकि वन्यजीव प्रेमी उन्हें प्राकृतिक माहौल में रखने के पक्ष में हैं। सुझाव दिया गया है कि उन्हें 28 हैक्टेयर के एनक्लोजर में रखा जाए। हालांकि इस बारे में अधिकारियों ने कोई फैसला नहीं किया है।
आखिरी बार 31 जुलाई को दिखा बाघ परिवार, मॉनिटरिंग पर उठे सवाल
मुकुंदरा टाइगर रिजर्व में 11 दिन बाद ही एक ओर बाघिन की मौत से वहां बाघों की सुरक्षा पर कई सवाल खड़े हो रहे हंै। मुकुंदरा के अधिकारियों के मुताबिक 31 जुलाई को बाघ एमटी-1, बाघिन एमटी-2 और दोनों शावक एक साथ बैठे देखे गए थे। उसके बाद से ही एक जगह पर उसकी लोकेशन आ रही थी। लेकिन ट्रेकिंग करने वाले किसी भी व्यक्ति ने बाघिन को आमने-सामने देखने का प्रयास नहीं किया।
लापता शावक की भी मौत की आशंका, संभव है कि वह पिता एमटी-1 के साथ हो
मुकुंदरा टाइगर रिजर्व में बाघिन एमटी-2 ने लगभग साढ़े चार महीने पहले दो शावकों को जन्म दिया था। इनमें से एक शावक घायल अवस्था में बाघिन के शव से सौ मीटर दूर मिला। उसके कान के पास जख्म हुआ है, लेकिन संभवत: बाघ एमटी-1 ने उस पर भी हमला किया, इससे वह डर के कारण सदमे जैसी हालत में था।
वह बेसुध सा पड़ा नजर आया। जिसका मौके पर ही वनकर्मियों ने उपचार किया तथा देखभाल के लिए निगरानी में रखा है। दूसरा शावक अभी भी लापता है। जिसको वन विभाग के कर्मचारी लगातार ढूंढ रहे हैं। जानकार सूत्रों के मुताबिक या तो दूसरा शावक अपने पिता बाघ एमटी-1 के साथ चला गया या अंदेशा है कि बाघ-बाघिन की लड़ाई के दौरान उसके भी घायल होने से उसकी मौत हो गई हो। वह कहीं झाड़ियों में पड़ा हो सकता है।
संक्रमण की भी आशंका
मुख्य वन्यजीव संरक्षक आनंद मोहन ने कहा कि जब हम बाघिन के शव के पास पहुंचे तो शुरूआत में बाघिन के शव की स्थिति बाघ एमटी-3 के शव जैसी नजर आई। ऐसे में किसी संक्रमण की भी आशंका है। पोस्टमार्टम की रिपोर्ट में संक्रमण की पुष्टि हुई तो बाघ एमटी-1 और बाघिन एमटी-4 को ट्रेंकुलाइज कर संक्रमण से बचाव का उपचार किया जाएगा और टीका लगाया जाएगा।
थर्मल कैमरों की वर्किंग पर संदेह
मुकुंदरा टाइगर रिजर्व में बाघों की सुरक्षा के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर पहाड़ियों पर 16 टावर पर 80 थर्मल कैमरे लगा रखे हैं जिनकी क्षमता 8 किलोमीटर के दूरी तक साफ तस्वीरें कैद कर लेने की है। इनसे लाइव रिकॉर्डिंग मुकंदरा रेस्ट हाउस में बने एक कंट्रोल रूम में होती है। लेकिन पिछले 48 घंटों से इन कैमरों की रिकॉर्डिंग में बाघ-बाघिन या शावक नहीं दिखे। इससे इनकी वर्किंग पर संदेह है।
रात 9 बजे बाद किया अंतिम संस्कार
मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम कराने के बाद दरा रेस्ट हाऊस परिसर में प्रोटोकॉल के साथ रात 9 बजे बाघिन के शव का अंतिम संस्कार किया गया।
प्रोजेक्ट को पीछे नहीं होने देंगे: तोमर
बाघिन की मौत को लेकर पत्रकारों से बातचीत चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन अरिंदम तोमर ने कहा कि भले ही मुकुंदरा में दो बाघों की मौत हो गई है। लेकिन इससे मुकुंदरा टाइगर रिजर्व में बाघ पुनर्वास कार्यक्रम प्रभावित नहीं होगा। इस प्रोजेक्ट में मुकुंदरा को किसी भी सूरत में पीछे नहीं होने देंगे।
इसके कदम लगातार आगे बढ़ते ही जाएंगे। मुकुंदरा में बाघों की सुरक्षा को लेकर सभी अधिकारियों के साथ बैठक होगी। इसके लिए एनटीसीए के अन्य अधिकारी भी दिल्ली से रवाना होकर कोटा पहुंचने वाले हैं। डॉक्टरों के द्वारा जो भी पोस्टमार्टम की प्राथमिक रिपोर्ट दी जाएगी। उसके बाद मंथन होगा कि शेष रहे बाघ एमटी-1 बाघ, एमटी-4 बाघिन ओर शावकों को कैसे बचाया जा सकता है। इसको लेकर पुख्ता इंतजाम किए जाएंगे।