नई दिल्ली.
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (GDP) ने यह अनुमान जाहिर किया है कि साल 2021 में भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से होगा। इसी तरह कई रेटिंग एजेंसियों ने यह अनुमान जाहिर किया है कि भारत वित्त वर्ष 2021-22 में सबसे तेजी से बढ़ने वाला देश होगा। लेकिन जीडीपी की इस बढ़त में कई पेच हैं। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने कैलेंडर ईयर 2021 में भारतीय इकोनॉमी में करीब 11.5 फीसदी यानी दो अंकों की बढ़त होने का अनुमान लगाया है। इसी तरह अन्य रेटिंग एजेंसियों ने यह अनुमान जाहिर किया है कि वित्त वर्ष 2021-22 में भारत में 8 से 10 फीसदी की तेज बढ़त हो सकती है। मूडीज ने वित्त वर्ष 2021-22 में 10.6 से 10.8 फीसदी की ग्रोथ का अनुमान जाहिर किया है।
जीडीपी में तेज बढ़त की क्या होगी वजह
सबसे पहले यह समझें कि भारतीय अर्थव्यवस्था में वित्त वर्ष 2021-22 में तेज बढ़त की क्या वजह होगी। इस बढ़त की मुख्यत: दो वजह होगी- 1. बेस इफेक्ट 2. मोदी सरकार के अच्छे कदम। पहले समझते हैं कि बेस इफेक्ट का मतलब क्या है। असल में कोरोना संकट की वजह से मौजूदा वित्त वर्ष यानी 2020-21 में भारतीय अर्थव्यवस्था में 8 से 10 फीसदी की भारी गिरावट आने का अनुमान है। यानी जीडीपी ग्रोथ नेगेटिव रहेगी। यह इतिहास में पहली बार होगा। भारतीय अर्थव्यवस्था में इतनी गिरावट कभी नहीं हुई थी।
दो साल पीछे क्यों जाएगा देश
अब इसी से यह समझते हैं कि देश दो साल पीछे कैसे जाएगा। वित्त वर्ष 2019-20 में भारत की रियल जीडीपी करीब 145.66 लाख करोड़ रुपए की थी। वर्ष 2020-21 में करीब 10 फीसदी की गिरावट का मतलब यह है कि इस साल जीडीपी करीब 131 लाख करोड़ रुपए ही रह जाएगी। अब अगले वर्ष जो 10 फीसदी की बढ़त होगी तो जीडीपी फिर बढ़कर करीब 144 लाख करोड़ रुपए होगी। यानी दो साल पहले के आंकड़े से थोड़ा कम ही। यानी दुनिया में सबसे तेज बढ़त के बावजूद भारत की जीडीपी दो साल पीछे ही रहेगी।
GDP में बढ़त की दूसरी वजह
जीडीपी में बढ़त की दूसरी प्रमुख वजह यह मानी जा रही है कि कोरोना संकट के बीच मोदी सरकार ने इकोनॉमी को संभालने के लिए कई अच्छे कदम उठाए हैं। जैसे भारत ने कोरोना का टीकाकरण अभियान जोरशोर से शुरू किया है। कोविड-19 टीके के 160 करोड़ डोज का प्री-ऑर्डर दिया गया। इकोनॉमी को खोलने के प्रयासों, कई सेक्टर के लिए राहत पैकेज और लॉकडाउन में समय से नरमी की वजह से अर्थव्यवस्था पटरी पर लौटी है और इसमें अनुमान से तेज सुधार हो रहा है।
सरकार ने कई राहत पैकेज दिए और मैन्युफैक्चरिंग से लेकर नौकरियों के सृजन को बढ़ावा देने पर ध्यान दिया। सरकार आगामी बजट में बुनियादी ढांचा विकास, निवेश और परेशान सेक्टर को राहत देने पर जोर दे सकती है। इन सबकी वजह से अगले वित्त वर्ष में तेज बढ़त होगी।