संदेश न्यूज। कोटा.
बूंदी जिले के छात्र चेतन चावला (खटीक) ने विषम परिस्थितियों के चलते देश की सबसे बड़ी मेडिकल प्रवेश परीक्षा नीट-2020 क्रेक की और अब सरकारी मेडिकल कॉलेज से पढ़कर एमबीबीएस करेगा। चेतन ने नीट में 720 में से 610 अंक प्राप्त किए और आल इंडिया 15470 तथा एससी कैटेगिरी रैंक 276 प्राप्त की। 18 साल के चेतन को इस समय माता-पिता याद आ रहे हैं, जिन्हें वो कई वर्षों पहले खो चुका है।
बीमारी के चलते पहले मां ममतेश बाई और 2016 में पिता कन्हैयाराम का भी जयपुर में दुर्घटना में निधन हो गया। इसके बाद चेतन के चाचा गजेन्द्र कुमार और समाज के लोगों ने पैसे एकत्रित कर पढ़ाया। चेतन के एक भाई व एक बहन है। बड़ा भाई जयपुर में मैजिक आॅटो चलाता है, उसी की कमाई से घर का खर्च चलता है, छोटी बहन दादा-दादी के साथ दबलाना में ही रहती है।
चेतन अब कार्डियोलॉजिस्ट बनकर कॅरियर बनाना चाहता है। चेतन की प्रतिभा और परिवार की विपरीत परिस्थितियों को देखते हुए एलन द्वारा गुदड़ी के लाल स्कॉलरशिप के तहत ग्रेजुएशन के चार वर्षों तक प्रतिमाह स्कॉलरशिप दी जाएगी।
कोटा रहकर आया निखार
कोटा में आने के साथ ही मैंने पढ़ाई शुरू कर दी। यहां का माहौल मुझे लगातार आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करता रहा। एलेन के अच्छे टीचर्स के अलावा यहां अच्छे स्टूडेंट्स का साथ मिलना मेरे लिए बहुत बड़ा सौभाग्य रहा। मैंने लगातार अपनी पढ़ाई जारी रखी और लक्ष्य के प्रति अडिग रहा।
एलेन ने दिया साथ
चेतन ने बताया कि मुझे पढ़ने में बचपन से रूचि थी, बचपन में दबलाना में पढ़ा, इसके बाद जब चाचा जयपुर गए और वहां काम करने लगे तो उन्होंने वहां बुलाकर मुझे पढ़ाया। मैंने राजस्थान बोर्ड हिन्दी मीडियम से राजस्थान बोर्ड में 85.83 प्रतिशत तथा कक्षा 12 में 86.60 प्रतिशत अंक प्राप्त किए। कोटा भेजने की बात आई। कोटा आया तो यहां एलेन कॅरियर इंस्टीट्यूट में एडमिशन लिया, मेरी फीस आधी कर दी गई। इसके बाद चाचा और समाज के लोगों ने मेरी फीस और मेरे कोटा में रहने और खाने का इंतजाम किया।
परिवार का हाल
चेतन ने बताया कि परिवार मूलत: दबलाना से ही है। चेतन के पिता तीन भाई हैं, यहां के दादा-दादी के साथ में रहते हैं। संयुक्त रूप से 4 बीघा जमीन है, जिसमें साल में सिर्फ एक फसल होती है और वो भी बरसात पर निर्भर है। इसी से परिवार का खर्च चलता है। आधा कच्चा मकान है। परिवार की आय बढ़ाने के लिए ही चाचा को जयपुर जाकर कपड़े की फिनिशिंग का काम करना पड़ा। बड़ा भाई भी इसीलिए जयपुर गया। दो साल लगातार फसल नहीं हुई थी तो परिवार पर आर्थिक भार आ गया था ऐसे में पिता भी नौकरी के लिए जयपुर गए थे, जहां 2016 में दुर्घटना में उनका निधन हुआ। बड़े भाई ने इसके बाद पढ़ाई छोड़कर परिवार के लिए काम करना शुरू किया।
- ये हैं गुदड़ी के लाल
- परिस्थितियों के आगे हार जाना कोटा ने नहीं सीखा। यहां हर स्टूडेंट को श्रेष्ठ सुविधाओं के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, यही कारण है कि स्टूडेंट्स अच्छे परिणाम देते हैं। चेतन एक मिसाल है कि विपरीत परिस्थितियों में भी आगे बढ़ने का हौसला नहीं खोया। एलेन द्वारा चेतन को गुदड़ी के लाल स्कॉलरशिप के तहत चार साल तक प्रतिमाह सहयोग राशि दी जाएगी।
– नवीन माहेश्वरी, निदेशक, एलेन कॅरियर इंस्टीट्यूट