नई दिल्ली.
जम्मू-कश्मीर में अब देश के किसी भी हिस्से का कोई भी व्यक्ति जमीन खरीद सकता है और वहां पर बस सकता है। गृह मंत्रालय द्वारा मंगलवार को इसके तहत नया नोटिफिकेशन जारी किया गया है। इससे जम्मू-कश्मीर में जमीन खरीदना अब लद्दाख और हिमाचल से भी आसान हो गया है। आइए इसे समझते हैं कि ऐसा क्यों है ?
पहले थी बहुत सख्ती
इससे पहले जम्मू-कश्मीर में सिर्फ वहां के निवासी ही जमीन की खरीद-फरोख्त कर सकते थे। लेकिन अब बाहर से जाने वाले लोग भी जमीन खरीदकर वहां पर अपना काम शुरू कर सकते हैं। हालांकि, अभी खेती की जमीन को लेकर रोक जारी रहेगी। इसके पहले तो कश्मीर में हालत यह थी कि राज्य से बाहर शादी करने वाली राज्य की कोई महिला भी चाहे तो वहां जमीन या फ्लैट नहीं खरीद सकती थी। जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि हम चाहते हैं कि बाहर की इंडस्ट्री जम्मू-कश्मीर में लगे, इसलिए इंडस्ट्रियल लैंड में इन्वेस्ट की जरूरत है। लेकिन खेती की जमीन सिर्फ राज्य के लोगों के लिए ही रहेगी।
गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर को पिछले साल ही मोदी सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी बनाते हुए धारा 35ए के प्रावधानों को भी खत्म कर दिया था जिससे जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त हो गया। यह धारा 35ए ही कश्मीर में बाहरी लोगों के जमीन खरीदने के रास्ते में सबसे बड़ी रुकावट थी। जम्मू-कश्मीर को दो हिस्से में बांटते हुए लद्दाख और जम्मू-कश्मीर को दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया गया।
इसके बाद इस साल कश्मीर में जमीन, प्रॉपर्टी की खरीद-फरोख्त को बाहरी लोगों के पूरी तरह से खोलने के लिए 27 अक्टूबर 2020 को जम्मू-कश्मीर रीआगेर्नाईजेशन एडाप्टेशन ऑफ सेंट्रल लॉज थर्ड ऑर्डर, 2020 का नोटिफिकेशन जारी किया गया। इसके तहत जम्मू-कश्मीर में भूमि कानूनों से जुड़ी जम्मू-कश्मीर डेवलपमेंट एक्ट की धारा 17 में बदलाव किए गए। राज्य के 12 कानूनों को खत्म कर दिया गया और 26 नए कानून बदलावों के साथ लागू किए गए। जमीन खरीद-फरोख्त की शर्तों में ‘राज्य के स्थायी नागरिक’ शब्द को हटा दिया गया।
Ministry of Home Affairs notifies UT of Jammu and Kashmir Reorganisation (Adaptation of Central Laws) Third Order, 2020. pic.twitter.com/cp00fIaSiJ
— ANI (@ANI) October 27, 2020
लद्दाख में अब भी है रोक
केंद्र सरकार ने लद्दाख को इस छूट से मुक्त रखा है, यानी अब लद्दाख में बाहरी लोगों के लिए जमीन खरीदना अब भी संभव नहीं है। संविधान की धारा 371 के तहत पूर्वोत्तर के छह राज्यों सहित देश के कुल 11 राज्यों की आर्थिक और सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखने के लिए विशेष प्रावधान किया गया है। लद्दाख के नेताओं की मांग थी कि इस धारा को लद्दाख में भी लागू किया जाए, क्योंंकि वह चीन की सीमा से सटा एक संवेदनशील इलाका है और उसकी अपनी एक अलग सांस्कृतिक पहचान है। राज्य की 90 फीसदी जनता जनजातीय है, इसलिए उसके अधिकारों का संरक्षण जरूरी है। हाल में राज्य के नेताओं ने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी। शायद इसीलिए सरकार ने लद्दाख को अभी इस छूट से मुक्त रखा है।
हिमाचल में बाहरी के लिए जमीन खरीदना कठिन
हिमाचल प्रदेश में जमीन खरीदना कश्मीर की तुलना में काफी मुश्किल है। हिमाचल प्रदेश के टेनेन्सी ऐंड लैंड रिफॉर्म्स एक्ट की धारा 118 कश्मीर की धारा जमीन खरीद-फरोख्त के मामले में कश्मीर की धारा 370 की तरह ही विशेष अधिकार वाली है। यह धारा बाहरी लोगों को जमीन की बिक्री से रोकती ही है, राज्य का किसान किसी गैर किसान यानी गैर कृषि वाले राज्य के व्यक्ति को भी अपनी जमीन नहीं बेच सकता।
अगर किसी बाहरी उद्यमी या स्कूल आदि जरूरतों के लिए किसी व्यक्ति को हिमाचल में जमीन लेना है तो उसे इसके लिए राज्य सरकार से विशेष इजाजत लेनी पड़ती है। सरकार संतुष्ट होने पर ही यह इजाजत देती है। सरकार ने यह प्रावधान इसलिए किया है ताकि जमीन पर कुछ अमीर लोगों का कब्जा न हो जाए, क्योंकि राज्य में कृषि भूमि बहुत सीमित है, जबकि करीब 90 फीसदी जनसंख्या कृषि और इससे जुड़ी गतिविधियों से जुड़ी है। हालांकि, गैर कृषि कार्यों में लगा कोई हिमाचली या कोई बाहरी व्यक्ति भी हिमाचल प्रदेश शहरी विकास प्राधिकरण (ऌकटवऊअ) से जुड़ी सरकारी एजेंसी से प्लॉट या फ्लैट बिना किसी इजाजत के खरीद सकता है।
कई राज्यों में सख्ती
यही नहीं, झारखंड, पश्चिम बंगाल, पूर्वोत्तर, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, मध्य प्रदेश में भी खासकर आदिवासियों, जनजातियों की जमीनों की खरीद-फरोख्त में कई तरह के अंकुश लगाए गए हैं। गुजरात, कर्नाटक और महाराष्ट्र में भी कृषि जमीन की खरीद-फरोख्त को लेकर सख्त कानून हैं।
अब कश्मीर में बढ़ेंगी प्रॉपर्टी की कीमतें !
इस साल जनवरी में ही कश्मीर के डिविजन कमिश्नर ने एक आदेश पारित कर आवासीय, कॉमर्शियल और कृषि भूमि का बाजार मूल्य सभी 10 जिलों में 2020-21 के लिए बढ़ा दिया था। कश्मीर में पहली बार आधिकारिक रूप से जमीन के वैल्यू में इतनी बढ़त की गई थी। गौरतलब है कि अगस्त 2020 में जम्मू-कश्मीर में रेरा नियमों का भी नोटिफिकेशन आ गया है और देश के बाकी राज्यों की तरह यह वहां भी लागू हो गया है। इससे राज्य में प्रॉपर्टी कारोबार बढ़ेगा।
अभी बहुत सस्ती है जमीन
अभी जम्मू-कश्मीर में प्रॉपर्टी की कीमत देश के बाकी हिस्सों से काफी कम है। वहां के दो प्रमुख शहरों श्रीनगर और जम्मू में जमीन 2,200 रुपए से 4,000 रुपए प्रति वर्ग फुट है। श्रीनगर में तो जमीन 2 टियर शहरों के बाहरी इलाकों के मुकाबले भी सस्ती है। यही नहीं, श्रीनगर के पंथा चौक इलाके में भी मकान 2300 रुपए वर्ग फुट आसपास की कीमत पर उपलब्ध है। इसी तरह जम्मू के पासी ढाकी इलाके में करीब 1600 वर्ग फुट का मकान 40 लाख रुपए आसपास की कीमत पर मिल सकता है।
निवेश बढ़ने की उम्मीद
गृह मंत्रालय के नोटिफिकेशन से राज्य में बाहरी लोगों के द्वारा जमीन की खरीद-फरोख्त की सभी तरह की अड़चन दूर हो गई। इससे राज्य में निजी निवेश बढ़ने की उम्मीद की जा रही है। यह उम्मीद की जा रही है कि राज्य में अब निजी कंपनियां अपने कारखाने, दफ्तर खोलेंगी और इससे राज्य के युवाओं को बड़े पैमाने पर रोजगार मिलेगा। इससे प्रॉपर्टी की कीमत बढ़ेगी और इसका भी फायदा स्थानीय लोगों को मिलेगा। राज्य में एग्रो प्रोसेसिंग, हॉस्पिटलिटी, टूरिज्म, हॉर्टीकल्चर, हेल्थकेयर, एजुकेशन, फार्मा और अन्य कई तरह के उद्योगों में निवेश आ सकता है और इससे बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसरों का सृजन होगा।
पर बात इतनी आसान नहीं
हालांकि कश्मीर अब भी एक संवेदनशील इलाका है और अब भी वहां हालात पूरी तरह से सामान्य नहीं हैं। कश्मीर में बड़े पैमाने पर सेना की तैनाती है और आवाजाही पर कई तरह के अंकुश हैं। इसलिए इतनी जल्दी वहां प्रॉपर्टी मार्केट में बाहर के खरीदारों की भीड़ लग जाएगी, ऐसा सोचना सही नहीं होगा। जैसे-जैसे राज्य स्थायित्व की ओर बढ़ेगा वहां निजी क्षेत्र का निवेश बढ़ेगा और बाहरी लोग जमीन खरीदने को प्रोत्साहित होंगे।