संदेश न्यूज। कोटा.
जेकेलोन अस्पताल में बच्चों की मौत के मामले में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया द्वारा गठित चार सदस्यीय कमेटी ने उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र सिंह राठौड़ के नेतृत्व में कोटा पहुंचकर अस्पताल का दौरा किया। इस दौरान भारी पुलिस बल तैनात रहा। निरीक्षण के दौरान कांग्रेस कार्यकर्ता राठौड़ और कमेटी का विरोध करने भी पहुंचे। कमेटी के सदस्य सांसद जसकौर मीणा, रामगंजमंडी विधायक मदन दिलावर एवं कोटा दक्षिण विधायक संदीप शर्मा ने गहरी नाराजगी जाहिर करते हुए इन मौतों का जिम्मेदार सरकार को ठहराया है।
इस दौरान निरीक्षण में कमेटी को कई कमियां पाई गई हैं। उन्होंने अस्पताल अधीक्षक डॉ एससी दुलारा व मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डॉ विजय सरदाना के सामने नाराजगी जाहिर की है। राठौड़ ने कहा कि पिछले वर्ष जब बच्चों की मौत हुई थी उस समय चिकित्सा मंत्री ने व्यवस्थाएं सुधारने का आश्वासन दिया था, लेकिन एक वर्ष बीत जाने के बाद अब तक भी व्यवस्था नहीं सुधरी और हालात जस के तस बने हुए हैं। हाड़ौती के विधायकों द्वारा 50 लाख रुपए विधायक कोष से दिए गए थे जिसका अभी तक वह हिसाब नहीं दे पा रहे हैं।
इसके साथ ही केंद्र सरकार द्वारा भेजे गए 100 वेंटिलेटर में से केवल 15 ही काम में लिए जा रहे हैं, बाकी 85 वेंटिलेटर अभी भी कमरे में बंद पड़े हैं इस बात को लेकर भी गहरी नाराजगी जाहिर की है। इसके साथ ही सांसद जसकौर मीणा ने लेबर रूम में रखी हुई टेबल पर जंग लगे होने से नाराजगी जाहिर की है। इसके साथ ही उन्होंने शिशु वार्ड का दौरा किया जहां पर परिजन चिकित्सकों व स्टाफ के प्रति नाराजगी जाहिर करते नजर आए वहीं दूसरी और बाल कल्याण समिति सदस्यों ने अस्पताल में लंबे समय से लगे हुए डॉ अमृत लाल बेरवा को हटाए जाने की मांग की है।
बाल संरक्षण आयोग अध्यक्ष संगीता बेनीवाल भी पहुंची, बोलीं.. अस्पताल का मैनेजमेंट सुधारें
राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्षा संगीता बेनीवाल ने शनिवार को जेकेलोन का निरीक्षण किया। उन्होंने आईसीयू पीआईसीयू आउटडोर वार्ड व अन्य व्यवस्थाएं देखी और उसके बाद अस्पताल अधीक्षक व एच ओ डी शिशु रोग विभाग से वार्ता कर जेकेलोन में सफाई व्यवस्था पर गहरी नाराजगी जाहिर की है।
इसके साथ ही उन्होंने पर्याप्त स्टाफ होने के बाद भी यहां के मैनेजमेंट ठीक नहीं होने की बात कही है। बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष संगीता बेनीवाल ने बताया कि अस्पताल में विगत वर्ष भी लगभग 100 बच्चों की मौत हो गई थी, जिस पर आयोग द्वारा प्रसंज्ञान लेकर चिकित्सालय का निरीक्षण किया गया था तथा प्रकरण की जांच करवाकर दोषी चिकित्सकों व कार्मिकों के विरूद्व कार्यवाही करवाई गई थी तथा अस्पताल में आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध करवाना सुनिश्चित करवाया गया था।
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