संदेश न्यूज। उमेश गौतम/इटावा.
हवा, पानी व प्रकाश की तरह आस्था, श्रद्धा व भावनाओं को भी न तो किसी राज्य की सीमाएं रोक सकती है और न ही वहां का प्रशासन। फिर चाहे रास्ते में कंटीली झाड़ियां, उबड़ खाबड़ पत्थर, भारी भरकम चट्टानें हों या निरंतर बहता गहरा पानी। इटावा क्षेत्र में लोगों की धार्मिक आस्था ने कुछ ऐसा ही उदाहरण पेश किया है। इटावा उपखंड क्षेत्र के मिठोद गांव के पास पार्वती नदी पर स्थित जिंद बाबा का देवस्थान लोगों के श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है। यह स्थान मध्यप्रदेश की सीमा में है और बीच में पार्वती नदी है, जिसमें पूरे वर्ष गहरा पानी भरा होता है। इसके अलावा भी रास्ता पथरीला, उबड़-खाबड़ है।
लेकिन लोगों की आस्था ने इस कठिन रास्ते को भी आसान बना दिया है और राजस्थान सहित मध्यप्रदेश से हजारों लोग एकादशी, रविवार व गुरुवार को जिंद बाबा के दर्शनों के लिए उमड़ते हैं। पार्वती नदी की कलकल बहती धाराओं को पार करने के लिए राजस्थान के श्रद्धालु पार्वती नदी को दो चट्टानों के बीच खुद सरिए व एंगलों से बनाए पुल को पार कर मध्यप्रदेश की सीमा में प्रवेश कर जिंद बाबा के स्थान पर दर्शनों के लिए पहुंचते हैं और पूजा-अर्चना कर सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। यह मात्र कहने को पुल है, हकीकत में एक जाली है, जो एक तरफ राजस्थान व दूसरी तरफ मध्यप्रदेश की सीमा में स्थित चट्टानों पर रखी हुई है। इस जाली पर न तो कोई सुरक्षा दीवार है और न ही यह पूरी तरह स्थिर की हुई है। जान जोखिम में डालकर लोग इधर से उधर आते जाते हैं। बारिश के समय यहां पानी का बहाव बढ़ जाता है, जिसके चलते यह देवस्थान पानी में डूब जाता है जिसके बाद दोनों राज्य के श्रद्धालु अपनी अपनी सीमाओं में ही पूजा अर्चना करते हैं।
पुलिया बनाने की उठ रही मांग
अभी हाल ही में राजस्थान सरकार ने इंदरगढ़, रजोपा, इटावा, पीपल्दा, शहनावदा होते हुए मप्र की सीमा तक 120 वां राज्य मार्ग घोषित किया है। जिसके बाद क्षेत्र के लोगों की पार्वती नदी पर स्थाई पुल बनवाने की मांग जोर पकड़ने लगी है। पुल बनने से इटावा उपखंड क्षेत्र के लोगों का मध्यप्रदेश के श्योपुर व बड़ौदा से सीधा संपर्क हो जाएगा तथा क्षेत्र के लोगों की रिश्तेदारी भी मध्यप्रदेश में बढ़ेंगी तथा क्षेत्र में व्यापार भी बढ़ेगा।
एकादशी के दिन उमड़ता है श्रद्धालुओं का सैलाब
इटावा क्षेत्र से 25 किलोमीटर दूर मध्यप्रदेश में पार्वती नदी पर स्थित जिंद बाबा के इस स्थान पर एकादशी पर हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं। इस दौरान लड्डू बाटी का भोग लगाकर यहां गोठ का आयोजन किया जाता है। क्षेत्र में सुख और समृद्धि की कामना की जाती है।
मनोकामनाएं होती हैं पूरी
यहां नवविवाहित दूल्हा और दुल्हन अपने विवाह के बाद दर्शन करने आते हैं। मान्यता है कि यहां सभी लोगों की मनोकामनाएं पूर्ण होती है।