इमरान हुसैन। संदेश न्यूज. कोटा.
कोटा शहर से कचरे को एकत्रित करने में नगर निगम हर साल करोड़ों रुपए की राशि खर्च कर रहा है, पर यही कचरा नगर निगम के आय के बड़े साधन के रूप में तब्दील हो सकता है। कोटा उत्तर और कोटा दक्षिण नगर निगम संयुक्त रूप से कोटा शहर से निकलने वाले कचरे में आय के साधन तलाशने की कवायद शुरू की है। हालांकि यह काम नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के निर्देश के बाद शुरू किया गया है, इसके बावजूद प्रदेश में ये काम सबसे पहले शुरू होगा। निगम का यह प्रोजेक्ट में सफल हुआ तो करोड़ों रुपए की आय हो सकती है।
दोनों नगर निगमों की ओर से विश्वकर्मा नगर व नयापुरा बृज टॉकिज स्थित कचरा ट्रांसफर स्टेशन और नांता ट्रेचिंग ग्राउंड पर आने वाले कचरे में सूखे कचरे और गीले कचरे को अलग-अलग करवाया जा रहा है। काफी संख्या में मजदूर इस काम में जुटे हैं।
ये लोग विभिन्न प्रकार की पॉलीथिन, कागज, गत्ते, कपड़े सहित अन्य कचरे को अलग-अलग कर रहे हैं। उसके बाद बचे हुए गीले कचरे को डम्पर में भरकर सीधे ट्रेंचिंग ग्राउंड में पहुंचाया जाएगा। जहां पर इसका खाद बनाने में उपयोग होगा। हालांकि अभी खाद बनाने का कार्य प्रारंभ नहीं हुआ है।
ठेकेदार नगर निगम को देगा पैसा
इस प्रोजेक्ट में नगर निगम ने ठेकेदार फर्म एसए स्क्रैप ट्रेडर्स के साथ अनुबंध किया है। इसमें निगम को कोई खर्चा नहीं करना पड़ेगा, बल्कि उल्टे ठेकेदार नगर निगम को भुगतान करेगा। ठेकेदार ने कचरा बीनने वाले मजदूरों को तीनों पॉइंट पर रखा है। वो सुबह से शाम तक कचरे में आने वाले गीले-सूखे कचरे को अलग-अलग एकत्रित करते है। वहां से बोरे में भरकर इनको ट्रेंचिंग ग्राउंड पहुंचाया जाता है, वहां पर मशीन के माध्सम से पॉलिथीन, कपड़े और अन्य सूखे कचरे के बंडल बांधे जा रहे हैं।
नगर निगम के खर्चे में भी होगी कमी
नगर निगम को साफ-सफाई के बाद कचरा उठवाकर उसे ट्रेंचिंग ग्राउंड तक पहुंचाने के लिए मोटी राशि खर्च करनी पड़ती है। अगर ये प्रयोग सफल रहा तो नगर निगम के कचरा परिवहन के खर्च में कमी आएगी। ट्रांसफर स्टेशन पर सूखे कचरे की छंटनी हो जाने से ट्रेंचिंग ग्राउंड पर केवल गीला कचरा ही लाना पड़ेगा। इस कचरे से बनी कंपोस्ट खाद के विक्रय से निगम को भी आय होगी। पॉलीथिन व कपड़े को सीमेंट फैक्ट्री में जलाने के लिए भेजा जाएगा। जबकि अन्य सूखे कचरे को नियमानुसार जरुरत के हिसाब से बाहर भेजा जाएगा। इससे भी ठेकेदार व निगम को आमदनी होगी।
गुजरात से आएंगी 3 ‘फटका’ मशीनें
कोटा उत्तर नगर निगम के आयुक्त वासुदेव मालावत और दक्षिण की आयुक्त कीर्ति राठौड़ ने बताया कि ठेकेदार के माध्यम से जल्द ही तीनों कचरा स्टेशन पर स्वच्छ भारत मिशन के तहत फटका मशीनें स्थापित की जाएंगी। इसके बाद ट्रक, ट्रैक्टर, टिपरों के जरिए आने वाले कचरे को सीधे मशीनों के प्लांट में डाला जाएगा। इस मशीन में चैन पट्टा रहेगा, जिस पर कचरा घूमेगा। इस पट्टे के दोनों तरफ मजदूर रहेंगे जो सूखे कचरे को अलग करेंगे। इसके बाद चैन पट्टे पर केवल गीला कचरा रह जाएगा, जो स्वत: मशीन के आखिरी छोर पर खड़े डम्पर में गिरेगा। उस गीले कचरे से कंपोस्ट खाद बनाई जा सकेगी।
नगरीय विकास मंत्री धारीवाल का ड्रीम प्रोजेक्ट, सबसे पहले कोटा में शुरू
स्वायत्त शासन मंत्री शांति धारीवाल को एनजीटी के निर्णय की जानकारी मिलने पर उन्होने जिला कलक्टर उज्जवल राठौड़ से बात करके उन्हें इस बारे में विस्तृत कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए। जिसके बाद जिला कलक्टर राठौड़ ने दोनों निगम के अधिकारियों की बैठक लेकर गीले और सूखे कचरे को अलग-अलग करने की व्यवस्था करने के निर्देश दिए। निगम अधिकारियों ने सुझाव दिया कि शहरवासियों से सीधे तौर पर गीला और सूखा कचरा अलग-अलग एकत्रित करना मुश्किल है। लेकिन जो लोग शहर में घूमकर पॉलीथिन और कबाड़ा बीनने का कार्य कर रहे हैं, उनको ठेकेदार के माध्यम से कचरा ट्रांसफर स्टेशन और ट्रेंचिंग ग्राउंड पर लाकर यह कार्य करवाया जा सकता है। इस पर जिला कलक्टर इसी मिशन पर कार्य करने के निर्देश दिए थे। ठेकेदार ने यह कार्य शुरू कर दिया है। अब जल्द ही निगम को बिना खर्च करे ही आय होने लगेगी। कोटा के बाद प्रदेश के अन्य निकायों में भी यह प्रोजेक्ट शुरू किया जा सकता है।
एनजीटी हर माह लगा रहा 10 लाख रुपए की पेनल्टी
नांता स्थित ट्रेचिंग ग्राउंड में प्रदूषण को खत्म करने के लिए एनजीटी की ओर से कई बार चेतावनी देने के बाद भी प्रदूषण खत्म नहीं हुआ तो एनजीटी ने हर माह नगर निगम पर 10 लाख रुपए की पेनल्टी लगाना शुरू कर दी है। इससे नगर निगम के अधिकारी सकते में आ गए। इसके बाद उन्होंने कचरे के ढेर के निस्तारण के लिए उपाय खोजा और प्रोजेक्ट तैयार किया।
सड़क पर पन्नी बीनने वालों को मिलेगा रोजगार
शहर में अभी कई ऐसे लोग हैं, जो रोजाना सड़कों के किनारे पड़े कचरे के ढेर से पॉलीथिन की थैलियां बीनकर उसे कबाड़ी को बेचते हैं। इस प्लांट के बनने के बाद पन्नी बीनने मजदूरों को कचरा ट्रांसफर स्टेशन पर ही कार्य मिल जाएगा। छंटाई के बाद ठेकेदार सूखे कचरे को एक रुपए प्रति किलो की दर खरीदेगा। जिसका भुगतान एनजीओ के माध्यम से नगर निगम सीधे मजदूरों को कर सकता है।