इमरान हुसैन @ संदेश न्यूज। कोटा.
भारत माला प्रोजेक्ट के तहत दिल्ली-मुम्बई सिक्स लेन एक्सपे्रस-वे पर के्रशर गिट्टी निर्माण के लिए पहाड़ों को खोदने के लिए शॉर्ट टर्म परमिशन (एसटीपी) देने की तैयारी की जा रही है। बिना नीलामी के बड़ी फर्मों को यह कार्य सौंपने की तैयारी है। अधिकारी चाहते तो यही एसटीपी नीलाम करके सरकार को कई करोड़ रुपए दिलवा सकते थे। ये एसटीपी भारत माला प्रोजेक्ट के तहत दिल्ली मुंबई एक्सप्रेस हाईवे बनाने वाली एचजी इंफ्रा और केसीसी बिल्डकॉन सहित अन्य कंपनी को दी गई है। इसके तहत कोटा और बूंदी जिले के पहाड़ों को खोदा जा रहा है।
बूंदी में इन्द्रगढ़ औ लाखेरी के आसपास ये एसटीपी प्लांट लगने वाले है। कोटा में भी पथरीले क्षेत्र जो वन विभाग की जमीन से 10 किमी दूरी है, वहां पर एसटीपी जारी की जाएगी। इस भारत माला प्रोजेक्ट से पहले कोटा-बारां के दुबारा निर्माण के लिए धतरियावाल और कोटा-झालावाड़ हाइवे के निर्माण के लिए मंडाना और झालावाड़ जिले में एसटीपी दी गई थी। ये हैं नियम और संशोधन: अतिरिक्त निदेशक दीपक तवंर ने कुछ दिनों पहले उदयपुर और अलवर में जारी एसटीपी मामलों की जांच की थी।
राज्य सरकार ने 2011 में ही सरकारी भूमि को बिना नीलामी के खनन पर रोक लगा दी थी। सरकार ने 2013 में करीब 53 हजार आवेदन भी निरस्त कर दिए थे। 2017 की एमएमसीआर की गाइडलाइन के मुताबिक सरकारी ही नहीं बल्कि निजी भूमि भी खनन के लिए बिना नीलामी के नहीं दी जा सकती। सरकार इस तरह की लीज को निरस्त भी कर सकती है।
50 करोड़ का घाटा आया था सामने: खनन विभाग अतिरिक्त निदेशक दीपक तंवर के निर्देशन में गत् अगस्त में एसडीआरआई दल और सतर्कता शाखा दल ने संयुक्त रूप से जांच की। शुरूआत में उदयपुर से शिकायतें मिली थी। इसके बाद अलवर तक पहुंचे। अलवर में करोड़ों की गड़बड़ी मिली। कोर्ट के आदेशों की अवहेलना भी हुई है। अधिकारियों ने सरकारी भूमि पर नियम विरुद्ध एसटीपी जारी की जाकर राजकोष को 50 करोड़ से ज्यादा का घाटा पहुंचाया है। इसकी रिपोर्ट सरकार को भेजी जा चुकी है।
ठेकेदारों के लिए अलग नियम क्यों ?
जानकारों का कहना है कि खान विभाग के द्वारा सरकार के लिए बड़ा राजस्व एकत्रित करने की जिम्मेदारी होती है। इसके लिए खनन कार्य करने के लिए नीलामी के माध्यम से ब्लॉक आवंटन किए जाते हैं, इसके लिए बड़े स्तर आॅनलाइन नीलामी की जाती है, सरकार को अगर दरें कम लगती है तो नीलामी को रद्द भी कर दिया जाता है, इस नीलामी से सरकार को बड़ी मात्रा में राजस्व एकत्रित होता है। लेकिन जब कोई ठेकेदार निर्माण कार्य का कार्यादेश लेकर एसटीपी के लिए आवेदन करता है, उसको सिर्फ रॉयल्टी के देने की शर्त पर ही एसटीपी आवंटित कर दी जाती है।
निजी खातेदारी में भी नीलामी से खनन स्वीकृति का प्रावधान
खनन कार्य के लिए निजी खातेदारी की जमीन में भी अगर खान विभाग खनन की स्वीकृति जारी करता है तो आम लोगों के लिए नीलामी प्रक्रिया से ही यह ब्लॉक आवंटन की स्वीकृति जारी की जा सकती है। लेकिन ठेकेदारों के लिए एसटीपी के आधार पर खनन कार्य की स्वीकृति जारी कर दी जाती है।
ये है असली मामला
सरकार पहाड़ों को लीज पर देती है, जिससे सरकार को पत्थर खनन के बदले प्रति टन के हिसाब से रॉयल्टी मिलती है। लेकिन इसके पहले लीज की नीलामी होती है। ज्यादा बोली लगाने वाले को ही लीज मिलती है। इस बोली से मिलने वाली अतिरिक्त राशि प्रीमियम होती है। जो ज्यादा बोली लगाने वाला विभाग में जमा कराता है। लेकिन एसटीपी जारी करने के कारण खनन विभाग को सिर्फ रॉयल्टी की ही राशि मिलती है।
रॉयल्टी में लगता है चूना
जिस जगह पर एसटीपी जारी की जाती है, उस स्थान पर खान विभाग की ओर से रॉयल्टी वसूलने के लिए या तो ठेका दिया जाता है या फिर सरकारी कर्मचारी रॉयल्टी काटने के लिए लगाए जाते हैं। बड़ी-बड़ी कंपनियों को जहां पर एसटीपी आवंटित की जाती है, उन क्षेत्रों में स्थापित नाके पर बैठने वाले कर्मचारियों व ठेका कर्मचारियों से सांठ-गांठ कर अवैध रूप से ट्रकों को बायपास कर दिया जाता है, जिससे सरकार को बड़े पैमाने पर रॉयल्टी का नुकसान होता है, क्योंकि एसटीपी क्षेत्र में खनन कार्य करने वाले वाहन चुनिंदा होते है, ऐसे में एक ही रवन्ना से कई बार ट्रकों की आवाजाही हो जाती है।
– एसटीपी बिना नीलामी के भी दी जा सकती है, इसलिए हमने आक्शन नहीं किया, जिन फर्मों के पास नेशनल हाईवे व स्टेट हाइवे के प्रोजेक्ट होते हैं, उन्ही फर्मों को ही एसटीपी दे दी जाती है। फर्म को दूसरी लीज से खनिज खरीदना मंहगा पड़ता। सरकारी पहाड़ में भी एसटीपी का नियम है। – जगदीश मेरावट, माइनिंग इंजिनियर (एमई) कोटा
– सरकार के निर्माण कार्यों को कोई भी ठेकेदार कम दरों में नहीं करता है, फिर सरकार ठेकेदारों को नाममात्र की रॉयल्टी लेकर एसटीपी क्यों देते है? सरकार को एसटीपी चुनिंदा केसों पर ही जारी की जानी चाहिए, जिन क्षेत्रों में पहले से ही खान विभाग की ओर खान आवंटित कर रखी हो, उस क्षेत्र में एसटीपी जारी नहीं करना चाहिए। – तपेश्वर सिंह भाटी, पर्यावरण पे्रमी कोटा