नई दिल्ली.
ब्रिटेन और अमेरिका समेत कई देशों में कोरोना वैक्सीनेशन की शुरुआत हो चुकी है। भारत में भी कोरोना वैक्सीन के आने का बेसब्री से इंतजार है। वैक्सीन के आने से पहले भारत दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान की तैयारी करने में जुटा है। आज से भारत में वैक्सीन का 48 घंटे तक बड़ा मॉक ड्रिल शुरू हो रहा है। भारत में कोरोना वैक्सीन के काउंटडाउन शुरु होते ही तैयारी की रफ्तार कई गुना बढ़ गई है। कोरोना वैक्सीनेशन का माइक्रो प्लान बनकर तैयार है। सरकारी अधिकारी और अभियान से जुड़ा पूरा चक्र दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान की तैयारी करने में जुटा है। देश में कल से वैक्सीन के लिए ड्राई रन शुरू हो रहा है। केंद्र सरकार पंजाब, असम, आंध्र प्रदेश और गुजरात में ड्राई रन चलाएगी। इसका मतलब ये हुआ कि वैक्सीन प्रोग्राम लॉन्च होने की पूरी प्रक्रिया को परखा जाएगा।
मॉक ड्रिल में क्या-क्या होगा ?
अगर इसको सिलसिलेवार समझें तो ये एक मॉक ड्रिल प्रक्रिया है, जिसमें टीका देने को छोड़कर सभी चीजों का परीक्षण किया जाएगा।इस अभ्यास के तहत टीके की आपूर्ति करना, जांच रसीद और आवश्यक डेटा डालना, वैक्सीन प्रक्रिया से जुड़े दल के सदस्यों की तैनाती करना, एक दूसरे के बीच दूरी बनाने की व्यवस्था को परखना, कोल्ड स्टोरेज का परीक्षण करना शामिल होगा। इस अभ्यास से सरकार ये समझना चाह रही है कि जब असल में वैक्सीन की प्रक्रिया शुरु होगी तो जमीन पर किन चुनौतियों से सामना करना होगा।
ड्रिल जिला अस्पतालों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों, निजी अस्पतालों में आयोजित किया जाएगा। यानी इस मॉक ड्रिल के नतीजों से आगे की पूरी वैक्सीनेशन प्लान की तैयारी पर असर पड़ेगा। इस ड्रिल के हिस्सा बनने वाले राज्य इसको लेकर बहुत गंभीर हैं। सभी राज्यों में वैक्सीन के स्टोरेज, वितरण और टीकाकरण को लेकर तैयारियां आखिरी दौर में हैं। वैक्सीन की कोल्ड चेन को बनाए रखने के लिए डीप फ्रीजर और दूसरे साधनों का इंतजाम किया जा रहा है। वैक्सीनेशन ड्राइव को अंजाम देने के लिए चुने गए स्वास्थ्यकर्मियों को ट्रेनिंग दी जा रही है।
एयरपोर्ट पर 2.5 मिलियन वैक्सीन स्टोर करने की क्षमता
दिल्ली एयरपोर्ट पर कोविड वैक्सीन की खेप पहुंचने पर रखरखाव और ट्रांसपोर्टेशन की तैयारी लगभग पूरी कर ली गई है। इस मेगा तैयारी को प्रोजेक्ट संजीवनी का नाम दिया गया है। इसके लिए एयरपोर्ट पर ही बड़े-बड़े कूल रूम या कूलिंग चैम्बर्स बनाए गए हैं।वैक्सीन को यहां माइनस 20 डिग्री तक के तापमान में रखा जाएगा। एक बार में 27 लाख वैक्सीन को स्टोर करने की व्यवस्था है। एक दिन में ऐसे 54 लाख वैक्सीन का मूवमेंट सम्भव है। बता दें कि दिल्ली एयरपोर्ट पर 2.5 मिलियन वैक्सीन स्टोर करने की क्षमता है। जरूरत पड़ने पर इसको थोड़ा बढ़ाया भी जा सकता है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने पहले ही जनवरी में कभी भी वैक्सीन आने की बात कही है। ऐसे में सरकार ये समझना चाहती है कि तैयारियां कागज पर कितनी हैं और जमीन पर इसका असर कितना है। सरकार अब राज्यों में स्वास्थ्य मंत्रालय की टीम भी भेजने जा रही है। कोरोना से लड़ने के लिए सटीक जानकारी और अपनी ताकत की पहचान जरूरी है। चार राज्यों में ड्राई रन के नतीजे बेहद महत्वपूर्ण होने वाले हैं, क्योंकि ये प्रक्रिया पूरे कोरोना वैक्सीन प्रोग्राम के लिए अहम है। ये खुद की तैयारियों को परखने वाला होगा, क्योंकि वैक्सीनेशन प्रोग्राम में गलती की कोई गुंजाइश नहीं होने वाली है।
देश में संक्रमण के मामले 6 महीने के नीचले स्तर पर
भारत में संक्रमण के मामले पिछले 6 महीने के निचले स्तर पर पहुंच गए हैं। देश में इस समय 2.76 लाख एक्टिव केस हैं। वहीं, 1.02 करोड़ मामलों में से 97.81 लाख मरीज ठीक हो चुके हैं। भारत में कोरोना से अभी तक 1.47 लाख लोगों की जान जा चुकी है। देश में सबसे ज्यादा एक्टिव केस की बात करें तो अभी भी केरल नंबर एक पर है जहां 63 हजार से ज्यादा मरीजों का इलाज जारी है।