नई दिल्ली. भारतीय रेलवे इस सप्ताह यात्री किराए को बढ़ाने की घोषणा कर सकती है। ये वृद्धि वातानुकूलित श्रेणी से लेकर अनारक्षित एवं उपनगरीय मासिक-त्रैमासिक सीजन टिकटों के किरायों तक सभी श्रेणियों पर लागू होगी। रेलवे सूत्रों के अनुसार संसदीय समितियों की सिफारिशों एवं परिचालन अनुपात पर बढ़ते दबाव को देखते हुए रेलवे को आखिरकार अपने आखिरी विकल्प का इस्तेमाल करना पड़ रहा है। रेलवे बोर्ड ने नई दरों का खाका तैयार कर लिया है और प्रधानमंत्री कार्यालय से उसे इसके लिए हरी झंडी भी मिल गई है। रेलवे बोर्ड को झारखंड विधानसभा के चुनाव संपन्न होने तक प्रतीक्षा करने को कहा गया था। सोमवार को मतगणना होने के बाद नई किराया दर की कभी भी घोषणा हो सकती है।
नहीं पड़ेगा अधिक दबाव
सूत्रों ने कहा कि रेलवे बोर्ड ने कई पहलुओं पर विचार करने के बाद प्रयास किया है कि किराया वृद्धि का किसी एक यात्री सेगमेंट पर ज्यादा दबाव नहीं पडेÞ और वृद्धि संतुलित एवं एकसमान हो। सूत्रों के अनुसार रेलवे बोर्ड ने किराया दरों के निर्धारण के लिए बहुत विचार मंथन किया है। इसके लिए उपनगरीय ट्रेन और मेल एक्सप्रेस ट्रेनों में द्वितीय श्रेणी के अनारक्षित और शयनयान एवं वातानुकूलित श्रेणियों के आरक्षित टिकटों के किराए में समान रूप से इस वृद्धि करने का प्रस्ताव किया गया है। यह वृद्धि 5 पैसा प्रति किलोमीटर से लेकर 40 पैसा प्रति किलोमीटर तक के बीच रहने की संभावना है। सूत्रों के अनुसार रेल किराए में यह वृद्धि 10 से लेकर 20 प्रतिशत के बीच रहने की संभावना है। यात्री किराए में वृद्धि से रेलवे के खजाने में प्रतिवर्ष 4 से 5 हजार करोड़ रुपए की अतिरिक्त आय हो जाएगी। इन उपायों से रेलवे का परिचालन अनुपात भी सुधर जाएगा।
संसदीय समिति ने की थी सिफारिश
हाल ही में संसद में पेश रेलवे पर संसदीय स्थाई समिति की एक रिपोर्ट में स्पष्ट तौर पर कहा गया था कि यात्री किराए को तर्कसंगत बनाया जाए। लेकिन राजनीतिक कारणों से रेलवे बोर्ड किराया बढ़ाने को लेकर कोई हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था। जबकि रेलवे का खर्च चाहे वह डीजल हो या बिजली सब कुछ बढ़ चुका है। लगातार खर्च बढ़ने से रेलवे का परिचालन अनुपात भी लगातार बढ़ता जा रहा है।