संदेश न्यूज। जयपुर/कोटा.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अध्यक्षता में शनिवार को आयोजित राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में बढ़ती सर्दी के मौसम एवं त्यौहारी सीजन के कारण बढ़ते कोरोना संक्रमण को लेकर नियंत्रित करने के उपायों पर मंथन हुआ एवं इस दिशा में कई निर्णय लिए गए। राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में निर्णय लिया गया कि कोरोना संक्रमण से सर्वाधिक प्रभावित 8 जिला मुख्यालयों (जयपुर, जोधपुर, कोटा, बीकानेर, उदयपुर, अजमेर, अलवर एवं भीलवाड़ा) के नगरीय क्षेत्र में बाजार, रेस्टोरेंट, शॉपिंग मॉल एवं अन्य वाणिज्यिक संस्थान रात्रि 7 बजे तक ही खुले रहेंगे।
इन 8 जिला मुख्यालयों के नगरीय क्षेत्र में रात्रि 8 से सुबह 6 बजे तक रात्रिकालीन (नाइट) कर्फ्यू रहेगा। नाइट कर्फ्यू में विवाह समारोह में जाने वाले, दवाइयों व आवश्यक सेवाओं से संबंधित लोगों तथा बस, ट्रेन एवं हवाई जहाज में सफर करने वालों को आवागमन हेतु नाइट कर्फ्यू के दौरान छूट रहेगी।
निजी कोविड अस्पतालों में भी डे-केयर सुविधा
कोविड का इलाज कर रहे निजी अस्पतालों में भी रोगी की मांग पर राजकीय कोविड चिकित्सालयों की तरह डे-केयर उपचार की अनुमति राज्य सरकार द्वारा निर्धारित दरों पर होगी। कम गंभीर कोविड रोगियों को जरूरी दवाइयां एवं चिकित्सा उपलब्ध कराने के दो-तीन घंटे में वापस घर भेजा जा सकेगा।
8 जिलों में 75 प्रतिशत कार्मिक अनुमत
कोरोना से सर्वाधिक प्रभावित प्रदेश के आठ जिलों (जयपुर, जोधपुर, कोटा, बीकानेर, उदयपुर, अजमेर, अलवर एवं भीलवाड़ा) में जिला मुख्यालय स्थित नगरीय क्षेत्र में से राजकीय एवं निजी कार्यालयों एवं संस्थान जहां 100 से अधिक कार्मिक कार्यरत हैं, वहां कार्य दिवसों में कार्मिकों की उपस्थिति 75 प्रतिशत से अधिक नहीं होगी। इन संस्थानों एवं कार्यालयों में स्टाफ को रोटेशन के आधार पर बुलाया जाएगा, ताकि किसी भी वर्किंग-डे पर 75 प्रतिशत से अधिक कर्मचारी कार्यालय में उपस्थित नहीं हों।
समारोहों में अधिकतम 100 लोग
पूरे प्रदेश में विवाह समारोह सहित राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक इत्यादि आयोजनों में शामिल होने वाले लोगों की संख्या अधिकतम 100 होगी। राज्य सरकार के इन दिशा-निदेर्शों की अवहेलना करने वालों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगी।
कोरोना में प्राइवेट अस्पतालों ने खूब लूटा
देश कोरोना संकट से जूझ रहा है। कोरोना से निपटने के लिए सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं में कमी है। साथ ही निजी अस्पतालों के लिए सरकार की ओर से कोई स्पष्ट दिशा निर्देश नहीं है। जिसके चलते कोरोना से ग्रसित मरीज को महामारी के दौर में इलाज पर ज्यादा पैसे खर्च करने पड़े। निजी अस्पतालों ने मरीज के इलाज के लिए ज्यादा पैसे चार्ज किए। यह बात संसदीय समिति ने शनिवार को अपनी रिपोर्ट में कही। संसदीय समिति ने कहा कि कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच सरकारी अस्पतालों में बेड की कमी थी। साथ ही कोरोना के लिए विशिष्ट दिशा निर्देश का अभाव था, जिसके चलते निजी अस्पतालों ने काफी बढ़ा-चढ़ाकर पैसे लिए। समिति ने जोर दिया कि अगर कोरोना के इलाज के लिए निजी अस्पतालों के लिए कोई फिक्स रेट तय किए होते तो कई मौतों को टाला जा सकता था।
देश में स्वास्थ्य पर खर्च ‘बेहद कम है’
स्वास्थ्य संबंधी स्थाई संसदीय समिति के अध्यक्ष राम गोपाल यादव ने राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू को कोरोना का प्रकोप और इसका प्रबंधन की रिपोर्ट सौंपी। सरकार द्वारा कोरोना से निपटने के संबंध में यह किसी भी संसदीय समिति की पहली रिपोर्ट है। समिति ने कहा कि 1.3 अरब की आबादी वाले देश में स्वास्थ्य पर खर्च ‘बेहद कम है’ और भारतीय स्वास्थ्य व्यवस्था की नाजुकता के कारण महामारी से प्रभावी तरीके से मुकाबला करने में एक बड़ी बाधा आई।