संदेश न्यूज। कोटा.
हाड़ौती के सबसे बड़े मातृ एवं शिशु अस्पताल जेकेलॉन में 24 घंटे में में 9 बच्चों की मौत का मामला सामने आया है। किलकारियां थमने के बाद परिजनों की चीखें उठने का मामला चर्चा में आने के बाद जयपुर तक पहुंच गया और नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल व चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने संभागीय आयुक्त केसी मीणा और जिला कलक्टर उज्जलव राठौड़ को तत्काल मामले की जांच करने के लिए अस्पताल भेजा।
संभागीय आयुक्त मीणा व कलक्टर राठौड़ ने जेके लोन अस्पताल के एनआईसीसयू, पीआईसीयू सहित बच्चों के सभी वार्डों का निरीक्षण व्यवस्थाओं को देखा। निरीक्षण के बाद संभागीय आयुक्त मीणा व कलक्टर राठौड़ ने मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डॉ. विजय सरदाना के साथ जेके लोन अस्पताल अधीक्षक के कक्ष में प्रमुख डॉक्टरों की बैठक लेकर बच्चों की मौत के बारे में विस्तार से जानकारी ली।
अस्पताल ने ये बताया कारण
बैठक में शिशु विभाग के एचओडी डॉ. अमृत लाल बैरवा ने कहा कि 3 बच्चे तो जच्चा वार्ड से मृत अवस्था में ही उनके यहां पहुंचे थे, जबकि तीन बच्चों का शरीर पूरा नहीं था, यानि जन्मजात विकृति थी। वहीं 2 बच्चों की मौत सेप्टिक शोक के कारण हुई है। 1 बच्चा अल्पविकसित था यानि बच्चा पूरा बनने से पहले ही डिलेवरी हो गई। मरने वाले बच्चों में गांवडी सिविल लाइंस कोटा, कापरेन बूंदी, कैथून रोड रायपुरा कोटा के दो नवजात शामिल है। इनमें से तीन प्रसव जेके लोन में ही हुए थे।
सामान्य नजर आ रहे हैं मौत के कारण: कलक्टर
जिला कलक्टर राठौड़ ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि मामले की जांच की जा रही है। अभी मौत के कारण सामान्य नजर आ रहे हैं, लेकिन जांच में अगर कहीं कोई लापरवाही सामने आई तो बर्दाश्त नहीं होगी, अस्पताल में स्टाफ की भी कमी की बात सामने आई है।
स्टाफ की कमी: संभागीय आयुक्त
संभागीय आयुक्त केसी मीणा ने कहा कि निरीक्षण व बैठक में अस्पताल में चिकित्सक और नर्सिंग कर्मियों की कमी की बात आई है। उसको पूरा करने का प्रयास करेंगे।
‘हम बुलाते रहे और अस्पतालकर्मी सोते रहे’
नवजात बच्चों के परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाया है। परिजनों का कहना था कि बार-बार जाकर कर्मचारियों को जगाते रहे, लेकिन वे सोते रहे। यहां तक कि परिजन दो नवजात के शव को लेकर अस्पताल परिसर में ही बैठे रहे, वहां पर उनकी सुनवाई करने वाला भी कोई भी नहीं था। बच्चे की तबीयत बिगड़ी उनके पास लेकर गए, लेकिन उन्होंने किसी भी तरह की कोई सुनवाई करने से मना कर दिया और कहा कि सुबह जब चिकित्सक आएंगे तब ही दिखाना। यहां तक कहा कि बच्चा नार्मल ही है, केवल इसी तरह से रोते हैं।
सालभर पहले भी नेशनल इश्यू बना था जेकेलोन
जेके लोन अस्पताल में गत् वर्ष 2019 के नवंबर-दिसंबर में भी चर्चा में आया था। बच्चों की मौत के मामले में तब भी दिल्ली से स्वास्थ्य मंत्रालय की टीम ने भी जेकेलोन अस्पताल का दौरा किया था, जिसके बाद हाड़ौती के दोनों बड़े अस्पतालों की क्षमता बढ़ाने के लिए नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल द्वारा अस्पताल के कायाकल्प का प्लान बनाया गया था, जिसका निर्माण कार्य दोनों ही अस्पतालों में चल रहा है।
बच्चों के मामले में लापरवाही नहीं होगी बर्दाश्त: धारीवाल
इस मामले में मंत्री धारीवाल ने कहा है कि सरकार चिकित्सा व्यवस्थाओं को लेकर अति संवेदनशील है, जेके लोन अस्पताल सहित तमाम अस्पतालों में चिकित्सीय सुविधाओं में लगातार इजाफा किया जा रहा है। चिकित्सा विभाग के अधिकारियों को भी चेतावनी देते हुए कहा है कि इलाज को लेकर लापरवाही की शिकायत मिलने पर कड़ी कार्यवाही की जाएगी। चिकित्सक और अन्य स्टाफ अपनी ड्यूटी को जिम्मेदारी के साथ निभाएं।
नवजात शिशुओं के उपचार में गंभीरता बरतें: रघु शर्मा
जेकेलोन अस्पताल का मामला सामने आने के बाद प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ.रघु शर्मा ने स्थानीय प्राचार्य एवं प्रशासनिक अधिकारियों को घटना की प्रारम्भिक जांच कर तत्काल रिपोर्ट देने के निर्देश दिए। कोटा मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य से जे.के.लोन अस्पताल में मृत्यु की सूचना पर रिपोर्ट तलब की। चिकित्सा मंत्री डॉ. शर्मा ने अस्पताल प्रशासन को नवजात शिशुओं की समुचित देखभाल सुनिश्चित करने की सख्त हिदायत दी है। उन्होंने कहा कि उपचार में लापरवाही बरतने पर कड़ी कार्यवाही की जाएगी।
लोकसभा अध्यक्ष बिरला ने जताई चिंता
शिशुओं की मौत पर लोकसभा अध्यक्ष बिरला ने कहा है कि पूर्व में भी अस्पताल में बड़ी संख्या में नवजात शिशुओं की मौतें हुई थी। तब भी अस्पताल प्रशासन की मांग के अनुसार केंद्र सरकार व सीएसआर के माध्यम से तमाम चिकित्सा उपकरण व विभिन्न प्रकार के संसाधन उपलब्ध करवाए गए थे। अस्पताल में नवजात शिशुओं की मृत्यु की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए, ताकि बार-बार इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति नहीं हो।
इस साल 920 बच्चों की मौत
प्राप्त जानकारी के अनुसारे जेके लोन अस्पताल में जनवरी 2020 से लेकर आज दिन तक 920 बच्चों की मौत हुई है। एनआईसीयू में नवंबर तक 612 और दिसंबर में 28, पीआईसीयू में नवंबर तक 254 और दिसंबर में 2 बच्चों की मौत हुई है। वार्ड में भर्ती शिशुओं में से नवंबर तक 23 और दिसंबर में 1 शिशु की मौत हुई हुई है। अस्पताल से मिली जानकारी के अनुसार एनआईसीयू और पीआईसीयू में बुधवार रात्रि तक 101 बच्चे भर्ती थे। गुरूवार को 82 बच्चे भर्ती थे, जबकि 12 बच्चे नए भर्ती हुए है।